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भारतीय संस्कृति के गीत गाते हम कर क्या रहे हैं! (1)

शिव दयाल मिश्राजब भी किसी के अस्तित्व पर संकट आता है तो उसे बचाने का प्रयास किया जाता है। मगर वह बच उस ही...

मत सींचो नफरत का बीज!

मनुष्य का स्वभाव ही ऐसा है कि स्वयं के अनुसार कुछ नहीं हुआ या बात नहीं मानी गई तो उनमें मतभेद उभरने लगते हैं।...

प्रजातंत्र बनाम भीड़तंत्र!

प्रजातंत्र में हर आदमी को अपनी बात कहने का हक दिया गया है। मगर इसका यह अर्थ तो कतई नहीं हो सकता कि आप...

देश से अब मिटने लगा है अस्पृश्यता का कलंक!

शिव दयाल मिश्राहमारे देश में सदियों से अस्पृश्यता चली आ रही है। अब वह मिटने लगी है। हालांकि हमारे शाों में कहीं भी अस्पृश्यता...

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