बीकानेर@जागरूक जनता। बीते दिनों शहर में हुई करोड़ो रुपए की ज्वेलरी की चोरी के मामले में बीकानेर पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है । एसपी प्रीति चन्द्रा व एएसपी शैलेंद्र सिंह इंदौलिया के निर्देशन में बीकानेर पुलिस ने लाखो की ज्वैलरी चोरी करने वाले पारदी गिरोह का खुलासा कर दिया है जंहा पुलिस टीम ने चोरी की वारदात की रेकी करने में शामिल पारदी गैंग की दो महिलाओं सहित एक नाबालिग को गिरफ्तार किया है वंही इस वारदात को अंजाम देने वालों में शामिल गिरोह के 6 बदमाशों को नामजद कर लिया है । जिसकी धरपकड़ के लिए एमपी पुलिस व बीकानेर पुलिस की संयुक्त टीमों ने गुना के आसपास डेरा डाल रखा है । पारदी गैंग का राजस्थान में डेटा बेस तैयार कर उसे नेस्तनाबूद करने में नयाशहर थानाधिकारी गोविंद सिंह चारण की महत्वपूर्ण भूमिका रही । जिसके फलस्वरूप गैंग के तीन सदस्य पुलिस टीम के हत्थे चढ़ गए वंही गिरोह के आधा दर्जन बदमाश अब बेनकाब हो चुके है ।
नयाशहर थानाधिकारी गोविंद सिंह चारण ने बताया कि जिस तरीके से इस चोरी की वारदात को अंजाम दिया गया व साथ ही सीसीटीवी फुटेज में हुलिए के आधार पर इस वारदात में पारदी गिरोह का अंदेशा हुआ। जिस पर जिला पुलिस अधीक्षक प्रीति चन्द्रा के निर्देशन में अलग अलग टीमो का गठन कर एमपी गुना की पुलिस से संपर्क किया गया । वंही पारदी गैंग पर कार्य करने वाले स्पेशलिस्ट रामवीर सिंह राजावात उप निरीक्षक अगार मालवा रेंज उज्जैन मध्यप्रदेश की मदद ली गई । राजावत के साथ मिलकर पुलिस टीम ने पारदी गिरोह के मुल्जिमों को ट्रेसआउट करते हुए वारदात की रेकी करने में शामिल दो महिलाओं आंचल पत्नी प्रदीप उम्र 19 व रोहिणी पत्नी करन उम्र 20 वर्ष सहित एक नाबालिग निवासी बीलाखेड़ी गुना एमपी को गिरफ्तार कर इस पूरी वारदात पर से पर्दा उठा दिया । पुलिस ने इस वारदात को अंजाम देने वाले पारदी गैंग के गिरोह को नामजद कर लिया है सभी आरोपी बदमाश बीलाखेड़ी थाना धरनावदा जिला जनपद मध्यप्रदेश के रहने वाले है आरोपियों की पहचान ओमप्रकाश पुत्र भैरव पारदी, धर्मराज पुत्र राजपाल पारदी, करन पुत्र राजपाल पारदी प्रदीप, पुत्र रामप्रसाद पारदी,जॉनी पुत्र रामचरण पारदी,रवि उर्फ सागर पारदी के रूप में हुई है ।
इस तरह दिया पूरी वारदात को अंजाम
पारदी गैंग के लुटेरे जो शहर में वारदात से कुछ दिन पूर्व मैलों में गुब्बारे व खिलौने बेचने के बहाने आ गये थे और गजनेर नाल व बीकानेर रेल्वे स्टेशन के अंदर अपना डेरा लगाया था । लुटेरों की गैंग के साथ महिला व बच्चे भी साथ में बीकानेर आ गये । मुल्जिमों ने बीकानेर शहर में गुब्बारे व खिलौने बेचने के बहाने लालगढ़ , रामपुरा , पूगल रोड व मुक्ता प्रसाद के ईलाको में रैकी की व 1 अक्टूबर को वारदात को अंजाम देना तय कर लिया । उसके अगले दिन गैंग के सदस्य करीब 5 बजे के आसपास रेल्वे स्टेशन बीकानेर के प्लेटफॉर्म नम्बर 6 की और आकर रूक जाते है । और वारदात को अंजाम देने का अपनी पारदी गैंग का पूर्व में प्रचलित तरीका 06 सदस्यों की टीम बनाकर वारदात करने के लिये चिन्हित किये गये घर की और चले गये । पारदी गैंग के 06 सदस्य 10.30 बजे के आसपास चिन्हित किये घर के आसपास पहुंच जाते हैं और वारदात का समय रात्रि 02 करीब रखते है । इसलिये एक सुनसान प्लाट के अंदर 04 घंटे रुके रहे थे । करीब 02.30 बजे ओझा के बंगला नगर स्थित घर मे घुसे और परिवार के सदस्यों को कमरों में बंद कर करीब 90 लाख की ज्वैलरी की लूट की वारदात को अंजाम दिया और यहां से बीकानेर शहर से अलग – अलग रास्तो व साधनो से मध्यप्रदेश के मुरैना जिलें में पहुंच गये । इसके साथ आई महिलाऐं व नाबालिक बच्चा भी अलग – अलग रास्तो व साधनो से मध्यप्रदेश के मुरैना पहुंच गये महिलाओं को इस गैंग द्वारा वारदात करने के बाद किस जगह पहुंचना यह पहले ही तय कर लिया जाता है । पारदी गिरोह की गैंग इतनी शातिर होती है कि लूट व चोरी की जगह को शहर की बजाय बाहरी इलाको के घरों को चिन्हित करते है ताकि वारदात के तुरंत बाद उस इलाके से आसानी से निकला जा सके ।
उल्लेखनीय है, अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में बंगला नगर पूगल रोड़ निवासी दीपक ओझा पुत्र भंवरलाल ओझा के मकान में आधी रात को आधा दर्जन नकाबपोश चोरों की गैंग ने घुसकर करीब 90 लाख की ज्वैलरी व नकदी की वारदात को अंजाम दिया था जिस पर परिवादी ओझा की रिपोर्ट पर नयाशहर पुलिस ने मौका मुआयना कर धारा 457,380,401,414 भादसं पुलिस थाना नयाशहर दर्ज कर अनुसंधान गोविन्द सिंह थानाधिकारी पुलिस थाना नयाशहर द्वारा शुरू किया गया । वंही घटना की गम्भीरता को देखते हुए रेंज आईजी प्रफुल्ल कुमार के निर्देशन में एसपी प्रीति चन्द्रा के सुपरविजन में एएसपी शैलेंद्र सिंह इंदौलिया के नेतृत्व में सीओ सिटी सुभाष शर्मा ने खाकी के चुनिंदा अफसरों व कर्मचारियों की 9 टीमों का गठन किया । जिसमे नयाशहर थानाधिकारी गोविंद सिंह चारण,विरेन्द्र पाल सिंह पुनि, रिजर्व पुलिस लाईन, मनोज शर्मा थानाधिकारी बीछवाल मय थाना टीम,पवन कुमार उनि मुक्ता प्रसाद चौकी, मनोज माचरा थानाधिकारी कोटगेट मय थाना टीम, विक्रम सिंह थानाधिकारी नाल मय टीम, महावीर प्रसाद पु.नि.मय टीम, राणीदान चारण थाना गंगाशहर मय थाना टीम,कुसुमलता उ.नि. पीपीएसके, दीपक एचसी साईबर सैल की अलग अलग 9 टीमों का गठन किया गया और सीसीटीवी फुटेज,तकनीकी तथा फिल्ड आसूचना एवं वैज्ञानिक तकनीकी इत्यादि पर टास्क दिये गये ।
250 से अधिक सीसीटीवी फुटेजों से गैंग तक पहुंची पुलिस टीम
शहर में लगे हुये करीब 250 सीसीटीवी कैमरो को चैक किया गया व नकबजनी स्थल से बीकानेर के चारो तरफ के जाने वाले रास्तों-गलियों के भी सीसीटीवी कैमरे चेक किये गये । बीकानेर शहर से बाहर जाने वाले रास्तो व टोल नाकों के फुटेज भी चैंक किये गये । नकबजनी की वारदात करने से पांच दिन पहले के सभी धर्मशालाओं व होटलो के रिकार्ड खंगाले गये । इस पर गुना की पारदी गिरोह गैंग द्वारा इस वारदात को अंजाम देने का अंदेशा हुआ जिस पर बीकानेर पुलिस की टीम गुना गई और जिस क्षेत्र में परिवादी का घर स्थित है उनके आसपास किराये पर रहने वाले व किराये पर मकान देने वाले लोगो से सघन पुछताछ की गई । नकबजनी की वारदात को अंजाम देने वाले बीकानेर जिला व आसपास जिलों के आदतन अपराधियो की आसूचना जुटा कर उनसे पुछताछ की गई । एवं तकनीकी रूप से डाटा संकलित किये गये । जिस आधार पर मुल्जिमों को चिन्हित किया गया । और आखिरकार कड़ी मेहनत से पुलिस को इस केस में सफलता हाथ लगी ।
रक्त बहाने वाली खूनी पारदी गैंग
पारदी अधिकांश अपराध जिस क्षेत्र में निवास करते है उसे छोड़कर अन्य प्रान्तों में करने जाते हैं । अन्य प्रान्तों में जाकर ये भीड़ भाड़ वाले इलाकों यथा बस स्टैण्ड , रेल्वे स्टेशन, अस्पताल प्रांगण निर्माणाधीन भवन इत्यादि जगह पर मय परिवार के रूकते हैं और ये गुब्बारे बेचने जैसे छोटे व्यवसाय के जरिये संपूर्ण क्षेत्र का जायजा लेते हैं । भ्रमण के दौरान ऐसे मकान जो अपेक्षाकृत एकांत में हो , सूने हों और काफी दिनों से बंद हो या घर में वृद्ध या कम संख्या में लोग निवासरत हो , को ही अपना निशाना बनाते हैं । अधिकांशतः वारदातें कृष्णपक्ष ( अंधेरी रात ) के समय ही करते हैं । सूने मकान में प्रवेश करते समय आधी टीम मकान की निगरानी पर बाहर रहती है । अंदर जाते समय अधिकांश लोहे गिरिल पेचकस से खोलकर व दौलतिया से ताले को तोड़कर ही घुसते हैं । साथ ही कमर में गोफन और पत्थर इत्यादि बांध लेते हैं । वारदात करते समय यदि कोई जाग जाता है तो पत्थर आदि फेंकर डराने का प्रयास करते हैं , न डरने पर हत्या जैसी गंभीर वारदात भी रक देते हैं । इनकी टीम में निकट संबंधी ही वारदात करने जाते हैं जिनकी संख्या 6 से 10 तक होती है अधिकांशतः ये लोग आभूषणों ( सोना – चांदी ) एवं नगदी को ही निशाना बनाते हैं । इनकी महिलायें घटना के पश्चात लूटे आभूषण व नगदी को अपने गुप्तांगों व छोटे बच्चों के गले व तितर – बितर कमर में बांधकर रेल द्वारा या बसों द्वारा वापस अपने निवास स्थान की ओर आते हैं । पुरुष घटना के बाद हो जाते हैं और अलग – अलग दिशाओं से अपने गांव अलग – अलग समय पर आते हैं । पुरूष अपना हिस्सा अपनी पत्नियों को देकर तत्काल गांव छोड़कर जंगल में पहाड़ों पर या नदी किनारे चले जाते हैं जहां वह एक समूह बनाकर रहते हैं । सुबह शाम धुंधला होने पर मोटर साइकिलों से ये अपने घरों पर आते हैं यदि इन्हें पुलिस की भनक रहती है तो महीनों अपने घर पर नहीं आते । इनकी महिलाओं एवं बच्चों द्वारा इन्हें भोजन पहुंचाया जाता है जहां वे रूके हुये हैं ।