सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर : सोशल मीडिया में पोस्ट की या कार्यक्रम में शामिल हुए तो होगी कार्रवाई, पढ़े खबर
जयपुर@जागरूक जनता। राजस्थान में किसी भी सरकारी कर्मचारी ने आरएसएस, जमात-ए-इस्लामी के पक्ष में अगर किसी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पोस्ट डाली तो उसके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। राजस्थान सरकार ने विधानसभा के सवाल के जवाब में साफ लिखा है कि सरकारी कर्मचारी आरएसएस-जमात ए इस्लामी, आनंद मार्ग जैसे संगठनों की न मेंबरशिप ले सकता है और न इनके कार्यक्रमों में भाग ले सकता है। ऐसा करने पर संबंधित कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई होगी। हाल ही में एक विधायक द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में सरकार ने यह जानकारी दी है।
बीटीपी विधायक राजकुमार रौत के विधानसभा के सवाल के जवाब में कार्मिक विभाग ने लिखा है- 18 मार्च 1981 के सर्कुलर के तहत कोई भी सरकारी कर्मचारी जमात-ए-इस्लामी, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ आर.एस.एस.), आनंदमार्ग की मेंबरशिप नहीं ले सकता है। सवाल के दूसरे बिंदु के जवाब में लिखा है- कोई भी सरकारी कर्मचारी आरएसएस, जमात-ए-इस्लामी के लिए या इनके पक्ष में सोशल मीडिया पर कोई पोस्ट डालता है, तो यह राजस्थान असैनिक सेवाएं (आचरण) नियम, 1971 के नियम-7 का उल्लंघन है। ऐसे कर्मचारी के खिलाफ सीसीए रूल्स 1958 के तहत नोटिस देकर अनुशासनिक कार्रवाई की सकती है। सरकारी कर्मचारी इन संगठनों के कार्यक्रमों में भाग नहीं ले सकता है।
1981 से है प्रावधान
राजस्थान सरकार के कार्मिक विभाग ने 1981 में एक सर्कुलर निकालकर आरएसएस सहित 17 से ज्यादा संगठनों की सूची जारी की थी। सरकारी कर्मचारी उस सूची में दिए गए किसी भी संगठन से किसी तरह का जुड़ाव नहीं रख सकता। ऐसा करना सेवा नियमों का उल्लंघन माना गया है।
कागजों तक सीमित हैं ये प्रावधान
1981 के सर्कुलर में सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस, जमाते इस्माली सहित 17 से ज्यादा संगठनों की किसी गतिविधि में भाग लेने पर पाबंदी कागजी है। प्रदेश भर में कर्मचारी इन संगठनों के सदस्य हैं। कर्मचारी नेता और सचिवालय के रिटायर्ड अफसर रवींद्र पारीक का कहना है- 1981 के सर्कुलर के अनुसार, कोई भी सरकारी कर्मचारी आरएसएस, जमाते इस्लामी, रेडिकल लेफ्ट और राइट विंगर संगठनों की एक्टिविटी में भाग नहीं ले सकता। प्रैक्टिकल ग्राउंड पर कभी इसका पालन नहीं हुआ। कर्मचारी आज भी इन संगठनों के कार्यक्रमों, बैठकों और जलसों में बेरोकटोक भाग लेते हैं।
1981 के बाद चार बार बीजेपी की सरकार
आरएसएस को लेकर लगाई गई पाबंदी पर खूब सियासत होती रही है। 1981 के जिस सर्कुलर के जरिए आरएसएस सहित कई संगठनों की गतिविधियों में शामिल होने पर रोक लगाई गई है, उसे भाजपा सरकारों ने भी नहीं बदला है। 1981 के बाद राजस्थान में 4 बार भाजपा की सरकार बन गईं, लेकिन सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की एक्टिविटी मेंं भाग लेने, उसकी मेंबरशिप लेने पर लगाई रोक का सर्कुलर यथावत रखा गया है।
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