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जयशंकर का विदेशी सवाल पर हाजिरजवाब, “भारत की टिप्पणी सुनने के लिए भी तैयार रहें दूसरे देश”

भारत में कुछ देश के राजनयिकों द्वारा देश के विपक्षी नेताओं से मुलाकात पर टिप्पणी को लेकर जयशंकर ने बेहद करारा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि कोई भारतीय राजनीति पर टिप्पणी करे तो इससे हमें कोई समस्या नहीं है, लेकिन तब उन देशों को भी हमारी टिप्पणी सुनने के लिए तैयार रहना चाहिए।

जिनेवाः विदेश मंत्री एस.जयशंकर अपने हाजिरजवाब के लिए जाने जाते हैं। जिनेवा में शुक्रवार को जब उनसे अन्य देशों के राजनयिकों के साथ भारत के कुछ विपक्षी नेताओं की व्यक्तिगत बैठकों को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अन्य देशों द्वारा भारतीय राजनीति पर टिप्पणी करने से हमे कोई समस्या नहीं है, लेकिन उन्हें (दूसरे देशों को) अपनी राजनीति पर हमारी टिप्पणी सुनने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। उन्होंने जिनेवा में भारतीय समुदाय के साथ बातचीत के दौरान यह तीखी टिप्पणी की।

बता दें कि नई दिल्ली स्थित कुछ विदेशी राजनयिकों द्वारा उनके अपने देश में कुछ विपक्षी नेताओं (असदुद्दीन ओवैसी और जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला) के साथ व्यक्तिगत बैठकें करने के बारे में जयशंकर से सवाल पूछा गया था। विदेश मंत्री ने इसका सीधा जवाब नहीं दिया और कहा, ‘‘यदि लोग हमारी राजनीति के बारे में टिप्पणी करते हैं तो मुझे कोई समस्या नहीं है, लेकिन मुझे पूरी निष्पक्षता के साथ लगता है कि उन्हें भी अपनी राजनीति के बारे में मेरी टिप्पणी सुनने के लिए तैयार रहना चाहिए।’’ उन्होंने प्रसिद्ध लेखक जॉर्ज ऑरवेल की कृति ‘एनिमल फार्म’ का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘कुछ लोग दूसरों की तुलना में अधिक समान हैं। वास्तव में आप इसे कैसे बना सकते हैं?’’ जयशंकर तीन देशों की यात्रा के आखिरी चरण में स्विटजरलैंड में हैं। इससे पहले उन्होंने जर्मनी और सऊदी अरब का दौरा किया था।

महिला सुरक्षा के मुद्दे पर दिया ये जवाब
जयशंकर ने माना कि भारत में महिलाओं की सुरक्षा एक मुद्दा है। पिछले महीने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में बलात्कार और हत्या की घटना के स्पष्ट संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि देश में एक भी व्यक्ति ऐसा हो सकता है जो कि जो कुछ हुआ उससे आक्रोशित नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा और महिलाओं के खिलाफ अपराध भारत में एक मुद्दा है, लेकिन यह अन्य देशों में भी एक मुद्दा हो सकता है। उन्होंने लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण को भी याद किया जिसमें उन्होंने कहा था कि भारतीय देर रात बाहर जाने पर बेटियों को कुछ सीख देते हैं या कुछ कहते हैं, लेकिन ‘क्या आप अपने बेटों के साथ ऐसा करते हैं?’’

मानवाधिकारों पर कही ये बात
मानवाधिकारों को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की कथित आलोचना के बारे में उन्होंने कहा कि भारत ने विविधता वाले लोगों को “अनुमति दी, प्रोत्साहित किया, सुविधा प्रदान की, स्वीकार किया और उस विविधता को जारी रखा”। उन्होंने कहा, ‘‘आपने वास्तव में अपने समाज में बहुत सी विविधताओं, मत भिन्नता और बहुलवाद को दबा दिया है या विकृत कर दिया है या कम महत्व दिया है।’’ उन्होंने कहा कि उन समाजों (पश्चिमी देशों) का वर्तालाप अनिवार्य रूप से भारत से अलग होगा, क्योंकि उनके पास ‘‘इस प्रकार की मत भिन्नता नहीं है और न ही वे इसे कभी महत्व देते हैं।’’ जयशंकर ने यहां देश के स्थायी मिशन में भारतीय सुधारक और शिक्षिका हंसा मेहता की स्मृति में एक हॉल का नामकरण करके उन्हें सम्मानित किया।

उन्होंने परिसर में भारतीय संविधान के निर्माता डॉ.भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। इससे पहले, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भारत के कार्यालय के परिसर में एक पौधा लगाकर दिन की शुरुआत की। उन्होंने नई इमारत भी समर्पित की जिसमें संयुक्त राष्ट्र, डब्ल्यूटीओ और सीडी में भारत के स्थायी मिशन हैं। इस इमारत में जिनेवा में भारत का वाणिज्य दूतावास भी है।

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