राजधानी जयपुर में बी-टू-बाइपास पुलिया के नीचे से अपहृत 9 माह के अशोक को पुलिस ने तीसरे दिन एक दम्पती के कब्जे से मुक्त करवा लिया।
जयपुर. राजधानी जयपुर में बी-टू-बाइपास पुलिया के नीचे से अपहृत 9 माह के अशोक को पुलिस ने तीसरे दिन एक दम्पती के कब्जे से मुक्त करवा लिया। पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ ने बताया कि गिरफ्तार रमेश कुमार पिनारा ( 50 ) और उसकी पत्नी पायल (35) मुंडली शिवदासपुरा निवासी हैं।
आरोपी सोमवार शाम साढ़े चार बजे मध्यप्रदेश निवासी हिम्मत सिंह के बेटे अशोक का अपहरण कर ले गए थे। डीसीपी ईस्ट कावेन्द्र सिंह सागर के नेतृत्व में डीएसटी, क्राइम ब्रांच व ईस्ट जिला पुलिस बच्चे की तलाश में जुटी।
पुलिस ने घटना वाले दिन और उससे दो दिन पहले के करीब 3 लाख मोबाइल नंबरों की जांच की। इसके अलावा 500 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली, तब जाकर आरोपी दम्पती के संबंध में अहम सुराग मिला। यह भी सामने आया कि आरोपी रमेश की पहली पत्नी से चार बेटियां हुई थीं। सात वर्ष पहले उसने पहली पत्नी को तलाक दे दिया। चारों बेटियों को पहली पत्नी के साथ ही भेज दिया और खुद ने सात वर्ष पहले पायल से नाता प्रथा के चलते दूसरी शादी कर ली।
आइवीएफ से भी नहीं हुआ बच्चा
डीसीपी कावेन्द्र सिंह सागर ने बताया कि रमेश और पायल ने बच्चा होने के लिए कई जगह दिखाया। एक बार पायल गर्भवती हुई लेकिन कुछ समय बाद गर्भपात हो गया। आईवीएफ तकनीक से भी उसके बच्चा नहीं हुआ। 24 मई को रमेश बहन से मिलकर पायल के साथ सास से मिलने दुर्गापुरा जा रहा था। तभी बी-टू-बाइपास पुलिया के नीचे छह-सात बच्चों को खेलते देखकर वहां रुक गए।
वहां सबसे छोटा बच्चा अशोक ही था। दोनों ने अशोक को बेटा बनाने के लिए अपहरण की साजिश रची। बच्चे के माता- पिता से जानकारी मिली कि 24 मई से एक दम्पती पुलिया के नीचे लगातार आ रहा था। दम्पती ने बच्चे के मां-बाप की पूरी जानकारी ली और खुद के संबंध में कुछ नहीं बताया। यहां तक कि आरोपियों ने एक दिन तो अशोक के मां-बाप को खाना भी खिलाया था।
दौसा में लिया किराए का मकान
रमेश ने साजिश के तहत पांच-छह दिन पहले ही दौसा में किराए से मकान लिया और खुद की बाइक पर फर्जी नंबर प्लेट लगा ली ताकि पुलिस की पकड़ में नहीं आ सके। अपहरण के बाद आरोपी मालवीय नगर तक पहुंचे और वहां से परकोटा चले गए। फिर ट्रांसपोर्ट नगर घाट की गूणी होते हुए बाइक से दौसा चले गए। दौसा में पायल और बच्चे को छोड़कर रमेश गांव लौट आया।
गुरुवार सुबह से करीब 400 पुलिसकर्मी बच्चे की तलाश में जुटे थे। तभी पुलिस की तकनीकी टीम को शाम 5 बजे महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगा। टीम रमेश के गांव पहुंची तो वह मिल गया। पूछताछ में उसने बच्चा दौसा में पायल के पास होना बताया। दूसरी टीम ने दौसा में पायल से बच्चे को सकुशल मुक्त करवाया। पुलिस ने मां-बाप को उनका लाडला सौंपा तो बोले, पुलिस हमारे लिए भगवान है।
इनका रहा महत्वपूर्ण योगदान
एडिशनल डीसीपी आशाराम चौधरी, एसीपी आदित्य पूनिया, एयरपोर्ट थानाधिकारी लक्ष्मीनारायण, डीएसटी प्रभारी सरदार सिंह, तकनीकी शाखा में पदस्थापित कांस्टेबल गौरव सोलंकी, संजय राहड़ व अन्य पुलिसकर्मी।