सम्मान तो हारने वाले खिलाड़ी का भी होना चाहिए!


शिव दयाल मिश्रा
अभी
हाल ही ओलम्पिक खेलों का समापन हुआ है। इन खेलों में दुनिया भर के खिलाडिय़ों का कुम्भ लगा था। क्रिकेट सहित कुछेक खेलों को छोड़ दें तो इसमें दुनियाभर के तमाम खेलों का आयोजन होता है और उनमें हार-जीत का फैसला होता है। ये तो निश्चित है कि किसी भी खेल में कोई एक खिलाड़ी या एक ही टीम को विजयश्री प्राप्त होती है। उस विजयश्री प्राप्त करने वाले की झोली तरह-तरह के पुरस्कारों से भर जाती है या यूं कहें कि कई बार तो झोली ओवरफ्लो होकर ढुलने भी लग जाती है। करोड़ों की नगदी, सरकारी नौकरी, मकान और गाड़ी और भी न जाने कितने ही सम्मान और पुरस्कार की बौछारें लग जाती हैं। मगर इन्हीं खेलों में भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में खिलाड़ी जी-तोड़ मेहनत वर्षों से करते हैं। पहली बात तो इन खेलों में भाग लेने की चाहत रखने वाले सारे ही अमीर घराने के नहीं होते। अमीर घराने के खिलाडिय़ों को तो वैसे भी सारी सुविधाएं प्राप्त होती है, मगर गरीब और ग्रामीण परिवेश के खिलाडिय़ों को न तो सारी सुविधाएं मिलती है और न ही कोच आदि की व्यवस्था कर पाते हैं। मगर एक आस लगाते हुए वे अपना अभ्यास करते रहते हैं और उनके लिए खेल टीम में चयन होना ही बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है। ऐसे खिलाडिय़ों को टीम हो चाहे एकल खेल हो, अगर उनमें भाग लेने का मौका मिलता है तो वे अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। तो फिर क्यों नहीं उन्हें सम्मान दिया जाता है। उनके हार जाने पर वे अपना मुंह लटकाए चुपचाप घर लौट आते हैं। जबकि हार-जीत का फैसला कुछेक सैकंडों का यो कुछेक पाइंटों का ही होता है। जिसके इधर-उधर होने मात्र से हार-जीत का फैसला होता है। खेल विभाग को ये भी तो सोचना चाहिए कि किसी खेल का अगर खिलाड़ी ही नहीं मिलेगा तो उस टीम में हमारी शून्यता ही तो दिखाई देगी। भले ही खेल में हार जाए, लेकिन शून्य को तो खिलाडिय़ों ने भरा ही है। इसलिए किसी भी खेल में टीम हो या एकल, चयन होने पर उसे सम्मानित तो किया जाना चाहिए। ताकि खेल के प्रति बचपन से ही रुझान बना रहे और आगे चलकर हर खेल टीम में हमारे देश की भागीदारी हो। कई ऐसी प्रतियोगिताएं हैं जिनमें हमारे देश की ओर से किसी खिलाड़ी की उपस्थिति ही नहीं होती है। जब हमारे देश के खिलाड़ी की उपस्थिति नहीं होगी तो वहां हमारे देश का झंडा भी नहीं होगा। इसलिए हर उस खिलाड़ी को सम्मान और पुरस्कार मिलना चाहिए जिसकी उपस्थिति ऐसे खेलों के आयोजन में हो। ये उपस्थिति किसी खिलाड़ी की नहीं अपितु देश की होती है।
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