एक के बाद एक परीक्षा देता बेचारा अभ्यर्थी, पेपर आउट!


शिव दयाल मिश्रा
हिन्दू धर्म में श्रीमद्भागवत गीता एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें ईश्वर, कर्म, फल, ज्ञान, जीवन के बारे में बहुत ही विस्तृत और एक-एक बात को बड़े ही सलीके से भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बताया है। अर्जुन के माध्यम से गीता का ज्ञान मनुष्य को दिया गया है। गीता में एक श्लोक है :-
कर्मण्येवाधि कारस्ते।
मा फलेषु कदाचन:।
अर्थात कर्म तो करते जाओ, मगर फल की इच्छा मत करो। बात तो सही है क्योंकि कर्म करना ही हमारे हाथ है फल तो हमारे हाथ है नहीं, फल तो मिले तो मिले वरना असफलता मिलती है। अब अगर आज के पढऩे वाले छात्र-छात्राएं दिन-रात पढ़ते रहते हैं। ट्यूशन जाते हैं, कोङ्क्षचग करते हैं। दुनियाभर के पेपर, पुस्तकें पढ़ते रहते हैं और परीक्षाएं देते रहते हैं। मगर कभी परीक्षाएं रद्द हो जाती हैं तो कभी पेपर आउट होने से दी हुई परीक्षा बेकार हो जाती है। घर वालों का ढेर सारा पैसा जो कोई घर से देता है तो कोई कर्ज लाकर बच्चों के भविष्य के लिए खर्च करता है। कई छात्र-छात्राएं ट्यूशन आदि करके अथवा पार्ट टाइम काम करके अपने खर्चे के लिए दो पैसे कमाते हैं और परीक्षाओं में बैठते हैं। परीक्षाएं रद्द होने पर जब छात्रों का दिमाग खराब होता है और वे निराश हो जाते हैं तो गीता का उपदेश कि-
कर्म किए जा फल की इच्छा मत कर रे इंसान।
को सुधार कर इस प्रकार पढऩे को मजबूर होते हैं कि-
फार्म भरे जा, नौकरी की इच्छा मत कर रे इंसान।
क्या करे छात्र बेचारा। कुछ भॢतयों की जगह निकलती है और हजारों लाखों की संख्या में छात्र फार्म भरते हैं। वे पैसा तो छात्रों को वापस मिलता नहीं है। गया जो गया। इस प्रकार लाखों करोड़ों रुपए वैकेंसी निकालने वाली संस्थाओं के पास चला जाता है। तैयारियों पर खर्च होता है जो अलग। मगर नौकरी न मिले तो छात्र ठगा सा देखता रह जाता है। अगर नौकरी लग भी जाए तो भी बड़ी संख्या में फार्म भरे जाते हैं उनका पैसा जो कि लाखों-करोड़ों में होता है वह तो सीधे-सीधे संस्था की आय हो गई।
[email protected]

.

.

..


Jagruk Janta

Hindi News Paper

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

Jagruk Janta 6-12 Oct 2021

Tue Oct 5 , 2021
Post Views: 223

You May Like

Breaking News