दालों के विक्रेताओं, मिल मालिकों, व्यापारियों एवं आयातकों को 20 मई तक उपलब्ध दाल के वास्तविक अंतिम स्टॉक की घोषणा 21 मई तक देनी होगी। दालों के सभी डीलरों को निर्धारित प्रपत्र में स्टॉक रजिस्टर का संधारण करना होगा।
जयपुर। दालों की कीमतों में वृद्धि होने की आशंका को देखते हुए खाद्य विभाग ने संभावित जमाखोरी को रोकने के लिए व्यापारियों को दाल के स्टॉक की घोषणा करने का आदेश जारी कर दिया है। खाद्य सचिव नवीन जैन ने बताया कि आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत जारी राजस्थान व्यापारिक वस्तु (अनुज्ञापन एवं नियंत्रण) आदेश 1980 के अनुसूची 2 में संशोधन करते हुए अनुसूची में साबुत या दली हुई दालें यथा उड़द, मूंग, अरहर, मसूर, मौठ, लोबिया राजमा, चना, मटर एवं अन्य दालों को जोड़ा गया है।
अंतिम स्टॉक की घोषणा 21 मई तक देनी होंगी
शासन सचिव ने बताया कि दालों के विक्रेताओं, मिल मालिकों, व्यापारियों एवं आयातकों को 20 मई तक उपलब्ध दाल के वास्तविक अंतिम स्टॉक की घोषणा 21 मई तक देनी होगी। दालों के सभी डीलरों को निर्धारित प्रपत्र में स्टॉक रजिस्टर का संधारण करना होगा। स्टॉक की साप्ताहिक सूचना सप्ताह समाप्ति के तीन दिवस में निर्धारित प्रारूप में तैयार कर संबंधित उपखंड अधिकारी या जिला रसद अधिकारी को प्रस्तुत करनी होगी।
स्टॉक रजिस्टर को सत्यापन करवाया जाना होगा जरूरी
शासन सचिव ने बताया कि स्टॉक रजिस्टर को संबंधित उपखंड अधिकारी या जिला रसद अधिकारी से सत्यापन करवाया जाना जरूरी होगा। व्यापारियों को दालों के वास्तविक गोदाम भंडारण स्थल का पता एवं विवरण अपने स्टॉक रजिस्टर में दर्ज करनी होंगी। उन्होंने बताया कि सभी प्रकार की दालों का स्टॉक सम्मिलित करते हुए 5 क्विंटल की मात्रा तक स्टॉक रखने वाले खुदरा व्यापारियों पर यह लागू नहीं होगा। साप्ताहिक सूचना रिटर्न को ईमेल के माध्यम से संबंधित जिला रसद अधिकारियों को प्रेषित की जाएगी।
जमाखोरी रोकने के लिए करें औचक जांच
शासन सचिव ने बताया कि जिला रसद अधिकारी दालों के स्टॉक का नियमित रूप से पर्यवेक्षण करते हुए कीमतों की साप्ताहिक रिपोर्ट प्रेषित किया जाना सुनिश्चित करेंगे। जमाखोरी को रोकने के लिए दाल के डीलरों के स्टॉक की आकस्मिक जांच की जाएगी। उन्होंने व्यापारियों से आव्हान किया है कि कोविड संक्रमण के इस दौर में आमजन को खाद्य वस्तुओं उचित कीमत पर विक्रय करें। जमाखोरी करने वाले व्यापारियों के विरुद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत कार्रवाई की
जाएगी।