जानिए कब मिलेगी कोरोना महामारी से राहत, क्यों अशुभ है साल 2021, पढ़े पूरी ख़बर
नई दिल्ली। एक साल से ज्यादा का वक्त हो गया है लेकिन ये कोरोना है की जाता ही नहीं है हर तरफ तबाही का मंजर मचा रखा है। अब इन सबके बीच सबके मन में सिर्फ एक ही सवाल उठता है कि आखिर इस कोरोना काल से कब छुटकारा मिलेगा। और कब पूरा देश मास्क फ्री होगा। मानो जैसे हर तरफ से बस एक ही आवाज आती हो कि मुझे इस महामारी से आजादी चाहिए। तो इस कड़ी में ज्योतिष क्या कहते है। बता दें कि ज्योतिष के ग्रंथों महुर्त चिंतामणि और वशिष्ठ संहिता के अनुसार यदि गुरु किसी हिंदू नववर्ष में तीन राशियों को स्पर्श कर ले तब उससे अगले हिंदू नववर्ष में एक संवत्सर लुप्त हो जाता है। आपको बता दें कि, ज्योतिषीय काल गणना पद्धति में कुल 60 संवत्सर बताए गए हैं जिनके नाम प्रभव, विभव, शुक्ल, प्रमोद, प्रजापति आदि हैं और यह एक विशेष क्रम से चलते हैं। पिछले वर्ष 24 मार्च 2020 को हिंदू नववर्ष यानि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को प्रमादी संवत्सर था जिसके फलों में ‘प्रजा में रोग पीड़ा और राजाओं में विग्रह आदि कहे गए थे।
संयोग से 24 मार्च 2020 को ही भारत में कोरोना महामारी के चलते ‘संपूर्ण तालाबंदी’ की गई थी। उस समय गुरु धनु राशि में गोचर कर रहे थे और कुछ दिनों में ही वह मकर राशि में आ कर अतिचारी हो गए। गुरु सामान्यता एक राशि में एक वर्ष तक रहते हैं लेकिन मकर राशि में वह 10 माह तक रहने के बाद इस वर्ष हिंदू नववर्ष आरंभ के तीन दिन पूर्व ही कुंभ राशि में प्रवेश कर चुके थे। इस कारण से गुरु ने धनु, मकर और कुंभ तीनों राशियों को एक हिंदू नववर्ष के समय स्पर्श कर लिया था अत: ‘प्रमादी’ के बाद ‘आनंद’ संवत्सर का लोप हो गया और राक्षस संवत्सर का उदय हुआ है।
आनंद नाम के शुभ संवत्सर का गुरु की अतिचारी गति के कारण लुप्त हो जाने से ‘राक्षस’ नामक अशुभ संवत्सर अभी चल रहा है जिसके कुप्रभाव से 12 अप्रैल को शुरू हुए हिंदू नववर्ष के बाद से कोरोना महामारी की स्थिति विकराल रूप ले रही है। मई और जून के महीनों में राहु वृष राशि में चलते हुए अपनी प्रतिकूलता को बढ़ा देंगे। इससे कोरोना की दूसरी लहर में लोगों को अभी और सतर्कता और सजगता से काम लेना होगा। 23 मई को शनि जब मकर राशि में श्रवण नक्षत्र में वक्री होंगे तब केंद्र सरकार को कोई बड़ा फैसला लेना पड़ सकता है।
सामान्यता एक पूर्णिमा से अमावस्या तक 15 दिनों में 15 तिथियां होती हैं लेकिन कभी-कभी किसी एक तिथि के क्षय या लुप्त हो जाने से पक्ष 14 दिनों का होता है तो कभी एक तिथि के बढ़ जाने पर पक्ष 16 दिनों का भी हो जाता है। लेकिन इस वर्ष दशकों बाद ऐसा संयोग बन रहा है जब कोई पक्ष 13 दिनों का हो रहा है। इस पक्ष में दो तिथियों का क्षय यानी लोप हो जाएगा। भाद्रपद शुक्ल पक्ष यानी सितंबर के महीने में प्रतिपदा और त्रियोदशी तिथि का क्षय हो जाएगा। अत: सितंबर महीने में पड़ रहा भाद्रपद शुक्ल पक्ष केवल 13 दिनों का ही होगा। 8 सितंबर से 20 सितंबर तक रहने वाले 13 दिनों के इस अशुभ पक्ष के बाद कोरोना महामारी की तीसरी लहर भी भारत में आ सकती है ऐसी आशंका है। ऐसा कहा जाता है कि महाभारत युद्ध के समय भी 13 दिनों का पक्ष पड़ा था अत: सितंबर और उसके बाद का कुछ समय भी देश के लिए चुनौती पूर्ण हो सकता है।
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