वसुंधरा राजे के कार्यकाल का यह नियम बना गहलोत सरकार के गले की फांस, OBC आरक्षण से जुड़ा है मामला


●राजस्थान में ओबीसी आरक्षण के 21 प्रतिशत में पूर्व सैनिकों को शामिल करने का मामला गर्मा गया है. आरक्षण के नियमों में बदलाव से ओबीसी वर्ग को नुकसान हो रहा है. इसी को लेकर लोग सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे. कार्मिक विभाग द्वारा 17 अप्रैल 2018 को दिए आदेश में संशोधन की मांग भी की जा रही है.

राजस्थान में ओबीसी आरक्षण को लेकर गर्माया मामला, सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे लोग


जागरूक जनता
प्रदेश में सरकारी भर्तियों में आरक्षण नियमो में बदलाव के बाद ओबीसी वर्ग में युवाओं को हो रहे नुकसान के खिलाफ नियमों में संशोधन की मांग को लेकर शुक्रवार को जोधपुर जिले भर में लोग सड़कों पर उतरे. ओबीसी के 21 फीसदी आरक्षण में भूतपूर्व सैनिकों का कोटा शामिल करने के मामले को लेकर ओबीसी आरक्षण संघर्ष समिति के बैनर तले शहर भर में आंदोलन किया जा रहा है. शुक्रवार को इसी मांग को लेकर जिले के सभी उपखण्ड मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री, राज्यपाल के नाम ज्ञापन दिया गया. पीपाड़ शहर में संघर्ष समिति सुरेंद्र टाक के नेतृत्व में बड़ा प्रदर्शन किया गया. जोधपुर जिले के पीपाड़ शहर उपखंड कार्यालय में भी बड़ी संख्या में युवा एकत्रित हुए और शहर में रैली निकालकर विरोध जताया. जिसमें उपखंड अधिकारी पदमा चौधरी को मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा गया। संघर्ष समिति के सदस्यों ने प्रतिनिधि मंडल के रूप में शांतिपूर्वक वार्ता भी की।

जिसके बाद ओबीसी आरक्षण संघर्ष समिति ने जिला मुख्यालय पर बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी दी है. सुरेंद्र टाक शुक्रवार को पीपाड़ में सैकड़ों युवाओं के साथ मार्च निकाला और ज्ञापन दिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि राजस्थान में ओबीसी अभ्यर्थियों के साथ अन्याय हो रहा है. पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष महेंद्र सिंह कच्छावाह ने भी उनका समर्थन किया. उन्होंने गहलोत सरकार से ओबीसी आरक्षण की विसंगतियां दूर करने की मांग की. टाक सरकारी भर्तियों को लेकर कार्मिक विभाग की ओर से जारी रोस्टर को लेकर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. वहीं निष्कर्ष क्लासेज के डायरेक्टर जितेंद्र सिंह कच्छावाह ने गहलोत सरकार को चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि गहलोत सरकार पिछली सरकार के 17 अप्रैल 2018 के तुगलकी आदेश को तुरंत बंद करें. साथ ही उससे पहले जो आरक्षण की व्यवस्था थी उसे फिर से शुरू करे.





यह है मामला
दरअसल ओबीसी आरक्षण संघर्ष समिति द्वारा यह विरोध प्रदर्शन कार्मिक विभाग द्वारा यह विरोध प्रदर्शन कार्मिक विभाग द्वारा 17 अप्रैल 2018 को आरक्षण के नियमों में संशोधन के जारी किये आदेश के खिलाफ किया जा रहा है. पीपाड़ शहर उपखंड कार्यालय में विरोध प्रदर्शन के दौरान उधोगपति सुरेश कच्छावाह,भोमसिंह सोलंकी, सुमेर सिंह कच्छावाह ने बताया कि 2018 में ओबीसी सहित अन्य कैटेगरी के आरक्षण में भूतपूर्व सैनिकों के आरक्षण कोटे को खत्म कर मूल भर्ती के कुल पदों में से भूतपूर्व सैनिकों का 12.5 % कोटा तय किया गया है. इससे कुल पदों में ओबीसी की आबादी ज्यादा होने से भूतपूर्व सैनिकों में सबसे ज्यादा ओबीसी के भूतपूर्व सैनिकों का चयन होता है. इसके बाद सरकार इन भूतपूर्व सैनिकों को आरक्षण वर्गों की कैटेगरी में से कटौती करती है. इससे ओबीसी के 21% आरक्षण कोटे के अधिकांश पदों पर भूतपूर्व सैनिकों का चयन हो जाता है और मूल वर्ग के युवाओं को मौका नहीं मिल पाता. पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में भूर्तपूर्व सैनिकों के आरक्षण से जुड़ा नियम अब गहलोत सरकार की गले की फांस बनता जा रहा है।


जानिए, वर्टिकल और होरिजेंटल आरक्षण क्या है…

वर्टिकल आरक्षण का तात्पर्य जन्मजात दिए जाने वाले आरक्षण से है। यानी कोई व्यक्ति जिस जाति में जन्म लेता है, उसे राज्य सरकार की ओर से दिए गए जातिगत आरक्षण में उस जाति को दिए गए आरक्षण के तहत ही आरक्षण का लाभ मिलता है। जैसे कोई व्यक्ति जाट, सैनी, यादव, कुमावत, विश्नोई आदि जाति में जन्म लेता है तो उन्हें आरक्षण व्यवस्था के तहत ओबीसी वर्ग का लाभ मिलेगा।


•होरिजेंटल आरक्षण का तात्पर्य•
आरक्षण में दिए गए आरक्षण से है। यानी आरक्षण में आरक्षण। सरकारी नौकरियों में भूतपूर्व सैनिक, दिव्यांग, विधवा, परित्यक्ता और उत्कष्ट खिलाड़ियों को होरिजेंटल आरक्षण प्राप्त है। इन्हें होरिजेंटल आरक्षण के तहत आरक्षण का दोहरा फायदा मिलता है। अर्थात पहले भूतपूर्व सैनिक या उत्कष्ट खिलाड़ी होने का लाभ मिलेगा। साथ ही उन्हें अपनी जाति के आरक्षण का भी लाभ मिलेगा। इस दौरान युवा मोर्चा के सीपी मारोटिया, पर्वत टाक, माही टाक, बंशीलाल टाक, जीतू सैनी, बलदेव जाट, सुमेर सिंह सैनी, भीरमराम सांखला, सुमित ,सुमेर फौजी,धीरज,कानाराम, अशोक, दिनेश टाक, सुरेन्द्र,पवन व छात्रनेता रामसिंह सहित कई विद्यार्थी, शिक्षाविद मौजुद रहे।

17 अप्रेल 2018 को भूतपूर्व सैनिकों के आरक्षण में जुड़ा था यह नियम
भूतपूर्व सैनिकों को सरकारी नौकरी में वर्ष 1988 से आरक्षण प्राप्त है। उन्हें होरिजेंटल आरक्षण के तहत राज्य सेवा में 5 प्रतिशत, अधीनस्थ सेवाओं में 12.5 प्रतिशत और चतुर्थ श्रेणी की सेवाओं में 15 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है। पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे के कार्यकाल में 17 अप्रेल 2018 को कार्मिक विभाग ने भूतपूर्व सैनिकों के आरक्षण नियमों में बदलाव किया। इस बदलाव के तहत होरिजेटल आरक्षण नियम में आरक्षित वर्गों के पदों की तय संख्या की सीमा को खत्म कर दिया।

बाईट :-
आरक्षण की विसंगतियों को दूर करने के लिए हमारे द्वारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ज्ञापन देकर अवगत कराया गया। जल्द संशोधन नही होने पर जिला स्तर पर भी आन्दोलन किया जायेगा।

सुरेंद्र टाक,
ओबीसी बहाल संघर्ष समिति
पीपाड़ शहर, जोधपुर


ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों की बढ़ी इससे मुश्किलें
चूंकि प्रदेश में 90 प्रतिशत भूतपूर्व सैनिक ओबीसी वर्ग से आते हैं। इसलिए आरक्षित वर्ग के पदों की तय संख्या सीमा को खत्म करने से ओबीसी के भूतपूर्व सैनिक 12.5 प्रतिशत पदों के साथ ओबीसी वर्ग के अन्य पदों पर भी चयनित होने लगे। जिससे ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों का अपने वर्ग के पदों पर चयन होना मुश्किल हो गया। राजस्थान में पिछले कुछ वर्षों में हुई भर्तियों में ओबीसी वर्ग के सभी पदों पर भूतपूर्व सैनिकों का चयन हुआ।

(महेंद्र सिंह कच्छावाह पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष के पीपाड़ शहर)


रिपोर्ट:- मेहराम गहलोत
पीपाड़ शहर, जोधपुर राजस्थान

मुख्यमंत्री व राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपती हुई संघर्ष समिति ।
छात्र छात्राओ से वार्तालाप करती हुई पीपाड़ शहर उपखंड अधिकारी पदमा चोधरी।


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