अडानी ग्रुप के साथ कुल 36 कंपनियां हैं, जिनमें एलआईसी की हिस्सेदारी है और जिनके शेयरों की कीमत बीते छह महीनों में 20 फीसदी से अधिक घटी है. बाजार विश्लेषकों का मानना है कि छह दिन में एलआईसी के निवेश को जज नहीं करना चाहिए क्योंकि एलआईसी एक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर है और बीते कई सालों से वह कई नामी-गिरामी कंपनी में निवेश करता रहा है.
नई दिल्ली. देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के अडानी ग्रुप में निवेश से होने वाले मुनाफे में कमी आई है. रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पब्लिक होने के बाद अडानी ग्रुप के शेयर लगातार गोता लगा रहे हैं, जिसका नुकसान एलआईसी को भी उठाना पड़ रहा है.
एलआईसी न केवल भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी है बल्कि भारतीय शेयर बाजारों में सबसे बड़ी संस्थागत निवेशक भी है. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद अडानी ग्रुप के शेयर धड़ाम हो रहे हैं, जिसकी मार एलआईसी पर भी पड़ी है. बीते कुछ दिनों में एलआईसी के शेयरों का वैल्यूएशन घटकर आधा रहा गया है. लेकिन सिर्फ अडानी की वजह से LIC को घाटा हो रहा हो, ऐसा नहीं. बल्कि ऐसी कुल 36 कंपनियां हैं.
मामले ने लिया राजनीतिक रूप
यह मुद्दा अब राजनीतिक रूप ले चुका है और संसद में लगातार इसे उठाया जा रहा है. विपक्षी सांसद अडानी ग्रुप में एलआईसी के निवेश करने के फैसले की जांच करने की मांग कर रहे हैं. लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि अडानी ग्रुप एकमात्र कंपनी नहीं है, जहां से एलआईसी के मुनाफे पर गाज गिरी है. ऐसी कई कंपनियां हैं, जिनमें बीते छह महीनों में एलआईसी के निवेश पर होने वाला मुनाफा घटा है.