शिव दयाल मिश्रा
आज जमाने में मनुष्य के लिए हर तरह की सुविधा मिल रही है और ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं देने के प्रयास किए जा रहे हैं। अगर सुविधाओं में कमी हो, परेशानी हो तो उसके लिए उपभोक्ता मंच जैसी न्यायिक संस्था भी मौजूद है। यूं तो जीवन में बहुत सी सुविधाएं उपलब्ध हैं और बहुत सी कमियां भी हैं। मगर, आदमी के रोजमर्रा की जिंदगी में अगर कमी है तो उसे तो दूर करना ही चाहिए। मैं जो बात कहने जा रहा हूं वह है यात्रा से संबंधित। हवाई यात्रा, रेल यात्रा, बस यात्रा और भी साधन हैं जिनके द्वारा लंबी दूरी की यात्राएं की जाती हैं। हवाई यात्रा और रेल यात्रा में तो लगभग सभी मूलभूत सुविधाएं मिल जाती हैं, मगर बस यात्रा में सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती। बस यात्री को अपनी यात्रा के दौरान कई बार बड़ी परेशानी से रूबरू होना पड़ता है। बस ड्राईवर अपनी मनमर्जी या फिर निश्चित जगह पर ही बस को रोकता है। ऐसे में कई यात्री लघु शंका और दीर्घ शंका के लिए परेशान होते रहते हैं। बार-बार बस कंडक्टर और ड्राईवर को कहते रहते हैं मगर यात्रियों की नहीं सुनी जाती है। ऐसे में कई बार बड़ी विचित्र सी स्थितियां पैदा हो जाती हैं। इस समस्या से मुक्त होने के लिए क्यूं नहीं बसों में भी टॉयलेट की व्यवस्था शुरू कर देनी चाहिए। ताकि यात्री को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। आजकल बसों से सैंकड़ों क्या हजार किलोमीटर से भी ज्यादा की यात्राएं होने लगी हैं। ऐसे में कोई न कोई यात्री लघु शंका आदि के लिए बस के रुकने का इंतजार ही करता रहता है। बस तो अपनी निश्चित स्थान पर ही रुकेगी। कई यात्री ऐसे होते हैं जिन्हें कम समय में ही बार-बार टॉयलेट जाना पड़ता है। ऐसे लोग इस परेशानी के कारण बस यात्रा करने से कतराते हैं। उन्हें रेल की यात्रा ही अच्छी लगती है। मगर कभी-कभी ऐसा होता है कि उन्हें रेल यात्रा में रिजर्वेशन टिकट उपलब्ध नहीं होता, तो बस से सफर करना पड़ता है। कहने का तात्पर्य ये है कि अब समय आ गया है कि बसों में भी टॉयलेट सुविधाएं होनी चाहिए। क्योंकि 12-12 घंटे से लेकर 20-20 घंटों से भी ज्यादा का सफर बसों से होने लगा है और किराया भी भारी-भरकम वसूल किया जाता है। तो निहायत ही ऐसी मूलभूत सुविधाएं बसों में होना जरूरी हो गया है।
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