यूसुफ के दिलीप कुमार बनने का किस्सा:पिता नहीं चाहते थे कि फिल्मों में काम करे बेटा, पिटाई के डर से दिलीप साहब ने बदल लिया नाम


बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार का 98 साल की उम्र में निधन हो गया है।

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार का 98 साल की उम्र में निधन हो गया है। ट्रेजडी किंग के नाम से मशहूर दिलीप साहब ने आज भले ही दुनिया को अलविदा कह दिया हो लेकिन उनके ऐसे बहुत से किस्से हैं जिन्हें बॉलीवुड फैंस कभी भूल नहीं पाएंगे। ऐसा ही एक किस्सा दिलीप साहब के नाम से जुड़ा है।

दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसंबर, 1922 को ब्रिटिश इंडिया के पेशावर (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। दिलीप साहब के पिता लाला गुलाम सरवर खान और माता आयशा बेगम ने अपने बेटे का नाम यूसुफ खान रखा था। ऐसे में यह जेहन में आता है कि यूसुफ खान दिलीप कुमार कैसे बने। यूसुफ खान के दिलीप कुमार बनने के पीछे का किस्सा उनके फिल्मी करियर की शुरुआत से जुड़ा है। 1944 में फिल्म ‘ज्वार भाटा’ रिलीज हुई थी। इस फिल्म के जरिए इंडियन सिनेमा की पहली स्टार एक्ट्रेस देविका रानी ने यूसुफ खान को दिलीप कुमार के नाम से पेश किया।

ऑटोबायोग्राफी में दर्ज है नाम बदलने का किस्सा
दिलीप कुमार ने नाम बदलने का किस्सा अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘Dilip Kumar : The Substance and the Shadow’ में लिखा है। दिलीप साहब ने लिखा- देविका ने मुझसे कहा- यूसुफ, मैं तुम्हें एक अभिनेता के तौर पर लॉन्च करने के बारे में सोच रही हूं और मुझे लगता है कि अगर तुम अपना स्क्रीन नेम बदल लो तो यह कोई बेकार आइडिया नहीं है. एक ऐसा नाम जिससे आप जाने जाएंगे। एक ऐसा नाम जो कि स्क्रीन पर दिखने वाली आपकी रोमांटिक छवि के हिसाब से होगा। मुझे लगता है कि दिलीप कुमार एक अच्छा नाम है। यह मेरे दिमाग में तब आया जब मैं आपके लिए नाम के बारे में सोच रही थी। यह नाम आपको कैसा लगता है? दिलीप कुमार को यह नाम पसंद आया। उन्होंने दिलीप कुमार नाम से फिल्मी करियर की शुरुआत करने का फैसला किया और अपनी बेमिसाल अदाकारी की बदौलत देखते ही देखते ही दुनिया भर में मशहूर हो गए।

यूसुफ खान के दिलीप कुमार बनने का एक और दिलचस्प किस्सा
यूसुफ खान के दिलीप कुमार बनने से जुड़ा एक और दिलचस्प किसा है। यह किस्सा दिलीप कुमार के डर से जुड़ा हुआ है, जिसे सुनकर आप भी मुस्कुरा देंगे। कहा जाता है कि दिलीप कुमार को पिटाई के डर से नाम बदलना पड़ा था।

एक इंटरव्यू में दिलीप कुमार ने खुद ही यह किस्सा सुनाया था। उन्होंने कहा- मेरे वालिद फिल्मों के सख्त खिलाफ थे। उनके एक बहुत अच्छे दोस्त थे, जिनका नाम लाला बंसी नाथ था। इनके बटे फिल्मों में एक्टिंग करते थे। मेरे वालिद अक्सर उनसे शिकायत करते थे कि ये तुमने क्या कर रखा है। तुम्हारा नौजवान और इतना सेहतमंद लड़का देखो क्या काम करता है।

दिलीप कुमार ने बताया- मैं जब फिल्मों में आया तो मुझे बहुत खौफ हुआ कि जब उन्हें मालूम होगा, तो वह बहुत नाराज होंगे। मेरी पिटाई भी कर सकते हैं। उस समय मेरे सामने तीन नाम रखे गए। युसूफ खान, दिलीप कुमार और बासुदेव। मैंने कहा कि युसूफ खान मत रखिए, बाकी जो आपके दिल में आए वो नाम रख दीजिए। इसके दो-तीन महीने बाद जब एक अखबार में मैंने इश्तिहार देखा, तब मुझे मालूम हुआ कि मेरा नाम दिलीप कुमार रखा गया है।


Jagruk Janta

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