अधिक उत्पादन के लिए किसान पुरानी किस्मों के बजाय नई किस्मों का प्रयोग करें– कुलपति डॉ बलराज सिंह


  • जोबनेर कृषि महाविद्यालय में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
  • दिल्ली व हिसार के कृषि वैज्ञानिकों ने की रेड्डी कार्यक्रम की प्रशंसा
  • विद्यार्थी रोजाना पुस्तकालय में पढ़ने की आदत डाले–वैज्ञानिक डॉ दहिया
  • कृषि महाविद्यालय जोबनेर के रेडी प्रोग्राम की प्रमुख कृषि वैज्ञानिकों ने की प्रशंसा
  • दिल्ली व हिसार के वैज्ञानिक रेड्डी कार्यक्रम की गतिविधियों से हुए प्रभावित
  • विधार्थी अपना लक्ष्य निर्धारित कर अलग-अलग संस्थाओं से करे डिग्रियां–डॉ दहिया
  • छात्र बीएससी, एमएससी व पीएचडी की डिग्रियां विभिन्न संस्थाओं से प्राप्त करने का प्रयास करें –डॉ दहिया
  • छात्रों की तुलना में छात्राओं की संख्या अधिक प्रतिभा का संकेत डॉ मिश्रा

जोबनेर . श्री कर्ण नरेंद्र कृषि महाविद्यालय जोबनेर में गुरुवार को पादप प्रजनन की आधुनिक कृषि में आवश्यकता विषय पर कार्यशाला का आयोजन हुआ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ बलराज सिंह ने बताया कि किसानों को पारंपरिक किस्मों के बजाय नवीनतम विकसित किस्मो का उपयोग करना चाहिए ताकि उत्पादन व आय बढ़ाने में मदद मिल सके, इस कार्यशाला के प्रमुख वक्ता पादप प्रजनक प्रो गजराज दहिया व प्रो ए के मिश्रा रहे l दिल्ली व हिसार के वैज्ञानिकों ने रेडी कार्यक्रम के दौरान संग्रहित किए गए विभिन्न संग्रहण जैसे बीज,रोग , कीट, खरपतवार व उर्वरक आदि को बारीकी से देखा व अच्छे कार्य से प्रभावित होकर प्रशंसा की डॉ दहिया व डॉ मिश्रा ने कहा की रेडी छात्रों का कार्य प्रशंसनीय हैं।

पादप प्रजनक डॉ ए के मिश्रा प्रधान वैज्ञानिक (हिसार कृषि विश्विद्यालय) पादप प्रजनन के महत्व के बारे में बताया कि पौधों के प्रजनन क्षेत्र में नवीन उत्पादनों की खोज और विकास की यात्रा लगातार अग्रसर है, जिससे पौधों की प्रतिरोधक क्षमता, उपज और पोषण में सुधार होता है, आधुनिक प्रौद्योगिकीयों के उपयोग से, वैज्ञानिक समुदाय नवीन प्रजनन तकनीकों को विकसित कर रहे हैं जो कृषि क्षेत्र में क्रांति ला रहे हैं। यह उत्पादकता को बढ़ाने, रोग प्रतिरोधक्षमता को बढ़ाने और मिट्टी की गुणवत्ता को सुधारने में मदद करता है, विशेषज्ञों का कहना है कि इन नवीन प्रजनन तकनीकों के प्रयोग से, पर्यावरणीय परिस्थितियों में बदलाव के साथ-साथ, कृषि उत्पादन में भी सुधार हो रहा है l साथ ही उन्होंने बताया कि विद्यार्थी अपना लक्ष्य निर्धारित करके उसके अनुरूप विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी करें l साथ ही लक्ष्य निर्धारित कर नियमित पुस्तकालय में पढ़ने की आदत डालें।

वैज्ञानिक डॉ गजराज दहिया ने कहा की विद्यार्थियों को सैद्धांतिक शिक्षा के बजाय प्रायोगिक शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए, साथ ही डॉ दहिया ने विद्यार्थियों से कहा की स्नातक, स्नातकोतर व विद्यावाचस्पति की डिग्री अलग-अलग संस्थाओं से करनी चाहिए व छात्रों को आनुवांशिकी व पादप प्रजनन की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पारंपरिक पादप प्रजनन विधियां के साथ साथ नवीन तकनीकियों का उपयोग आवश्यक है जिसके कारण पादप प्रजनन में नई तकनीकियों जैसे प्री ब्रीडिंग, स्पीड ब्रीडिंग, प्रिसिजन फिनोटाइपिंग व मारकर एडेड ब्रीडिंग आदि अपनाने की आवश्यकता है साथ ही उन्होंने कार्यशाला में मौजूद विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि विद्यार्थियों को सभी विषयों का सामान्य ज्ञान होना आवश्यक है जिसके लिए उन्हें किताबें पढ़नी चाहिए।

डॉ दहिया व डॉ मिश्रा ने पादप प्रजनन विभाग के एमएससी व पीएचडी के छात्रों से वार्तालाप की, साथ ही बेहतर कृषि वैज्ञानिक बनने के टिप्स भी बताएं। मंच का संचालन सह अधिष्ठाता डॉ शैलेश मारकर ने किया, डॉ मारकर ने विश्वविद्यालय द्वारा विकसित मसालों की किस्मों के बारे में विस्तार से बताया।

इस कार्यशाला के आयोजक व रेडी इंचार्ज डॉ बीएस बधाला ने बताया कि इस कार्यशाला के दौरान स्नातक, स्नातकोत्तर व विद्यावाचस्पति के 142 छात्र व छात्राएं लाभान्वित हुए। डॉ चरत लाल बैरवा ने बताया कि प्रधान वैज्ञानिकों ने पुस्तकालय का भी दौरा किया साथ ही आरएफआईडी के बारे में भी जानकारी दी। इस कार्यशाला के दौरान डॉ बसंत कुमार भींचर, डॉ मनोहर राम, डॉ राजेश सिंह, डॉ संतोष सामोता, डॉ राम कुंवर, डॉ डी के गुप्ता, डॉ बनवारी लाल व एम के मीणा आदि मौजुद रहे।


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