जयशंकर ने हिलेरी क्लिंटन की 11 साल पुरानी बात याद दिलाई : बोले- सांप पालने वालों, आप भी डसे जाओगे:पाकिस्तान की मंत्री हिना रब्बानी को विदेशमंत्री का जवाब- अच्छा पड़ोसी बनिए


नई दिल्ली। यूनाइटेड नेशंस में गुरुवार रात भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान में पनप रहे आतंकवाद पर बयान दिया। उन्होंने कहा कि सांप पालने वाले देश ये न सोचें कि सांप केवल दूसरों को डसेगा। वो पालने वालों को भी डस सकता है।

दरअसल, UNSC में पाकिस्तानी मंत्री हिना रब्बानी ने भारत को आतंकवाद फैलाने वाला देश कहा था। इस पर जयशंकर ने हिना को हिलेरी क्लिंटन की 11 साल पुरानी बात याद दिलाई। 2011 में पाकिस्तान दौरे पर गई अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा था- अगर अपने पीछे सांप पालोगे तो यह उम्मीद मत करना कि वो सिर्फ आपके पड़ोसियों को काटेंगे, वह आपको और आपके लोगों को भी काटेंगे।

दुनिया बेवकूफ नहीं, आप अच्छा पड़ोसी बनें : एस जयशंकर
जयशंकर ने कहा कि दुनिया बेवकूफ नहीं है। दुनिया आतंकवाद में शामिल देश, संगठन के बारे में अच्छी तरह से जानती है और इस पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही है। आज दुनिया पाकिस्तान को आतंकवाद के सेंटर के रूप में देख रही है। वैसे तो पाकिस्तान को सही सलाह अच्छी नहीं लगती, लेकिन फिर भी मेरी सलाह है कि आप ये सब छोड़ कर एक अच्छा पड़ोसी बनने की कोशिश करें।

पाकिस्तान बताए कि आतंकवाद कब खत्म होगा
UNSC ब्रीफिंग के दौरान एक पाकिस्तानी पत्रकार ने जयशंकर से पूछा कि आतंकवाद कब खत्म होगा? इसके जवाब में जयशंकर ने कहा- अगर आप मुझसे ये सवाल कर रहे हैं तो आप गलत मंत्री से बात कर रहे हैं। आपको पाकिस्तान के मंत्रियों से ये सवाल करना चाहिए। वो ही बताएंगे कि ये सब कब खत्म होगा या कब तक वो आतंकवाद को बढ़ावा देने का इरादा रखते हैं।

जयशंकर बोले- आतंकवाद की कोई सीमा नहीं
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि जवाबदेही आतंकवाद का मुकाबला करने का आधार होना चाहिए। आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए आने वाले समय में खतरा है। इसकी कोई सीमा या राष्ट्रीयता नहीं बची है। ये हमारे लिए एक चुनौती है, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मिलकर मुकाबला करना चाहिए।

उन्होंने कहा- दुनिया में आतंकवाद के गंभीर रूप लेने से पहले ही भारत ने सीमा पार इसका सामना किया। दशकों में हमारे हजारों निर्दोष लोगों ने जान गंवाई। फिर भी हमने डटकर इसका सामना किया। हम तब तक चैन से नहीं बैठेंगे, जब तक आतंकवाद को जड़ से खत्म नहीं कर देते।

उन्होंने कहा कि आतंकवाद-रोधी ढांचा चार बड़ी चुनौतियों से जूझ रहा है। इनमें आतंकियों की भर्ती, टेरर फंडिंग, जवाबदेही और उनके कार्य करने के तरीके सुनिश्चित करना, आतंकवाद का मुकाबला करने में दोहरे मानकों को संबोधित करना और इनमें शामिल उभरती हुई नई तकनीक का गलत इस्तेमाल शामिल है।


Jagruk Janta

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