शिव दयाल मिश्राकोरोना ने लोगों की जीवनशैली बदल कर रख दी है। सोशल डिस्टेंसिंग का अर्थ जो भी हो मगर कोरोना में हर आदमी अपने लोगों से मिलना जुलना कम या यूं कहें कि लगभग बंद सा ही हो गया […]

शिव दयाल मिश्राकोरोना महामारी इस समय अपने भयवाह रूप में सामने आ रही है। ऐसे में हमारे देश और संस्कृति में दया के साथ धर्म के आचरण की विशेषता है। मगर इस समय में न तो कहीं दया दिखाई दे […]

शिव दयाल मिश्राइस संसार में जो जन्म लेता है वह निश्चित रूप से एक दिन मृत्यु को प्राप्त होता है। असल में जीवन को झूठ कहें या सत्य, यह एक ऐसा काल है जिसमें अपने कर्मों के फल को भोगने […]

शिव दयाल मिश्राहिन्दू नववर्ष विक्रम संवत्सर 2078 की सभी जागरूक जनता के सुधि पाठकों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। भारत वर्ष का सर्वमान्य संवत विक्रम संवत है, जिसका प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है। ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा […]

शिव दयाल मिश्राआज जमाने में मनुष्य के लिए हर तरह की सुविधा मिल रही है और ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं देने के प्रयास किए जा रहे हैं। अगर सुविधाओं में कमी हो, परेशानी हो तो उसके लिए उपभोक्ता मंच जैसी […]

शिव दयाल मिश्रासरकार हमेशा गरीबी मिटाने की बात करती है। अमीरी की नहीं। क्योंकि गरीबी को दया की दृष्टि से देखा जाता है। जबकि होता यह है कि गरीबी मिटाते-मिटाते युग बीत गए। परन्तु न तो गरीब मिटा और ना […]

शिव दयाल मिश्राभारतीय संस्कृति सनातन संस्कृति कहलाती है। आज उस संस्कृति का अविभाज्य कर्म मंदिर में जाकर प्रभु की पूजा-अर्चना तो आम आदमी लगभग भूल ही गया है। कभी-कभार किसी वार-त्योहार को अगर मंदिर जाना हुआ तो गये, वरना तो […]

शिव दयाल मिश्राजागरूक जनता के 7वें वर्ष में प्रवेश करने पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ। पाठक और अखबार का रिश्ता शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। इस रिश्ते की बुनियाद पर जागरूक जनता आज सबकी पंसद बन गया […]

शिव दयाल मिश्राजब भी किसी के अस्तित्व पर संकट आता है तो उसे बचाने का प्रयास किया जाता है। मगर वह बच उस ही स्थिति में पाता है जब वास्तविक रूप से उसे बचाने की कोशिश की जाए। मगर आजकल […]

मनुष्य का स्वभाव ही ऐसा है कि स्वयं के अनुसार कुछ नहीं हुआ या बात नहीं मानी गई तो उनमें मतभेद उभरने लगते हैं। फिर शुरू हो जाता है हर बात पर किच-किच होना। यही किच-किच आगे चलकर मतभेद से […]

प्रजातंत्र में हर आदमी को अपनी बात कहने का हक दिया गया है। मगर इसका यह अर्थ तो कतई नहीं हो सकता कि आप जिद पर ही अड़ जाओ। कुछ झुको और कुछ झुकाओ। इसके बाद अपनी बात बनाओ। यह […]

शिव दयाल मिश्राहमारे देश में सदियों से अस्पृश्यता चली आ रही है। अब वह मिटने लगी है। हालांकि हमारे शाों में कहीं भी अस्पृश्यता का उल्लेख नहीं मिला है जहां तक मैंने हमारे धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया है। भागवत […]

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