भंवरी देवी हत्याकांड! हाईकोर्ट ने दिया मृतका के परिजनों को परिलाभ देने के आदेश


Bhanwari Devi Murder Case : देश का बहुचर्चित ANM भंवरी देवी हत्याकांड एक बार फिर सुर्खियों में है। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक आदेश जारी करते…

Bhanwari Devi Murder Case : देश का बहुचर्चित ANM भंवरी देवी हत्याकांड एक बार फिर सुर्खियों में है। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए भंवरी देवी की मौत के बाद चिकित्सा विभाग की ओर से परिजनों को पेंशन सहित अन्य परिलाभ देने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट जस्टिस अरूण मोंगा की एकलपीठ के समक्ष मृतका भंवरी के पुत्र एवं पुत्रियों ने अश्विनी, सुहानी और साहिल पेमावत की ओर से पेंशन सहित अन्य परिलाभ के लिए याचिका पेश की।

याचिका में अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने बताया कि मृतका के पुत्र एवं पुत्रियों को 12 साल बाद भी परिलाभ नहीं दिए गए हैं। जिसके बाद जस्टिस अरूण मोंगा की एकल पीठ ने इस संबंध में फैसला सुनाया। उन्होंने चिकित्सा विभाग को भंवरी देवी के 1 सितंबर 2011 से बकाया सेवा परिलाभ और नियमित पेंशन व सेवानिवृत्ति परिलाभ की गणना कर समस्त परिलाभ चार महीने में ब्याज के साथ देने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही ये आदेश भी दिया कि भंवरी के पति अमरचंद का हिस्सा डिपार्टमेंट के पास रहेगा। बेल मिलने पर उसे यह हिस्सा मिलेगा। अमरचंद इसी हत्याकांड में अभी जोधपुर जेल में बंद है।

2018 में बेटे की लगी थी अनुकंपा नौकरी
भंवरी देवी से जुड़े मामले में सीबीआई भंवरी देवी को मृत मान रही है, लेकिन राज्य सरकार एवं जिला कलेक्टर ने लम्बे समय उनको मृत नहीं माना। भंवरी देवी की 1 सितंबर 2011 को मानी गई है। भंवरी देवी सरकारी हॉस्पिटल में ANM थी। भंवरी देवी 1 सितम्बर, 2011 को घर से बाहर गई थी, लेकिन वापस नहीं आई। इसके बाद पता चला कि उनकी हत्या कर दी गई है। चिकित्सा विभाग ने भंवरी देवी को मृत मान उसके बेटे साहिल को 2016 में अनुकंपा नियुक्ति तो दे दी थी, लेकिन भंवरी देवी से जुड़ी नियमित पेंशन और सरकारी सेवाओं के लाभ देने से मना कर दिया था।

चिकित्सा विभाग की ओर से तर्क दिया गया कि उसका मृत्यु प्रमाण-पत्र नहीं है। ऐसे में उसकी दोनों बेटी अश्विनी, सुहानी और बेटे साहिल ने एडवोकेट यशपाल खिलेरी व विनीता के माध्यम से 2018 में हाईकोर्ट में एक याचिका पेश की।

याचिका में बताया गया कि चिकित्सा विभाग ने भंवरी देवी की मौत मानकर बेटे को नौकरी तो दे दी, लेकिन जब भंवरी देवी के बकाया सेवा परिलाभ, नियमित पेंशन और रिटायरमेंट के परिलाभ के लिए कहा तो मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं होने का हवाला देकर मना कर दिया। इस पर बेटे और बेटियों की ओर से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए कलेक्टर से अपील की गई, जहां से तहसीलदार को आदेश दिए थे। पीपाड़ सिटी तहसीलदार की ओर से रिपोर्ट बना कलेक्टर को भेजी गई। इसी आधार पर डेथ सर्टिफिकेट बना और अब पांच साल बाद इसमें फैसला आया है।

महिपाल और मलखान के भंवर में फंसी भंवरी
भंवरी देवी (36) जोधपुर के पास एक सरकारी अस्पताल में नर्स थी। भंवरी देवी राजस्थानी लोक गीतों के एलबम में भी काम करती थी। वह एक्टिंग के कारण अक्सर शहर से बाहर रहती थी। वह खुद का एलबम लाना चाहती थी। इस वजह से वह ड्यूटी से नदारद रहती थी। जब ज्यादा दिन तक वह नदारद रहने लगी तो विभाग ने सस्पेंड कर दिया। इसके बाद वह स्थानीय विधायक मलखान सिंह विश्नोई से मिलने गई। उनसे नजदीकी बढ़ाने के बाद मलखान ने ही एक दिन उसकी मुलाकात तत्कालीन मंत्री महिपाल मदेरणा से कराई।

रिपोट्‌र्स के मुताबिक, इसके बाद भंवरी की नौकरी न केवल दोबारा से बहाल हो गई बल्कि अपने गांव के समीप ही पोस्टिंग मिल गई। बाद में भंवरी देवी की मलखान सिंह और महिपाल से नजदीकियां हो गईं। धीरे-धीरे भंवरी देवी की सियासी गलियारों में जान-पहचान बढ़ती गई। इसके बाद उसने स्थानीय लोगों के काम करवाने शुरू कर दिए। इसके बाद भंवरी देवी का राजनीति में भी दिलचस्पी बढ़ी। कहा जाता है कि चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं देने पर तीनों के बीच विवाद बढ़ गया।

एक सीडी जो बन गई थी मुसीबत
रिपोट्‌र्स के मुताबिक, भंवरी देवी ने महिपाल और मलखान को अपने प्रेम जाल में फांस लिया। इसके बाद उसने दावा किया था कि उसके पास दोनों नेताओं के साथ अवैध संबंधों की सीड़ी है, जिसे वह सार्वजनिक कर देगी। यहीं से भंवरी देवी की कहानी में नया मोड़ आ गया। यह सीड़ी उसके झगड़े की जड़ बनी। उस सीड़ी को लेकर राजनीतिक गलियारों में खलबली मच गई। इसके बाद उस सीडी को बरामद करने के उद्देश्य से ही 1 सितंबर 2011 को भंवरी अपहरण हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक, जब किडनैपर्स भंवरी को दूसरे स्थान पर ले जा रहे थे तो उसने शोर मचाना शुरू कर दिया था। इससे घबराए गैंग के लोगों ने गला दबाकर उसकी हत्या कर दी और लाश को जला दिया था। सीबीआई ने नहर में तलाशी कराई तो अस्थियां मिलीं। सीबीआई ने जांच के लिए भंवरी के बच्चों के डीएनए को अमेरिका भेजा। अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई ने कन्फर्म किया कि ये अस्थियां भंवरी की ही हैं।

कई दिनों तक भंवरी कहीं नहीं मिली तो उसके पति अमरचंद ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। अमरचंद ने तत्कालीन मंत्री महिपाल मदेरणा पर इसका आरोप लगाया था। पुलिस मामले को सुलझाने में नाकाम रही तो मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। मामला ज्यादा बढ़ा तो महिपाल मदेरणा को इस्तीफा देना पड़ा था। भंवरी पर आरोप लगाया गया था कि उसने CD देने के लिए लाखों रुपए में दोनों से सौदा किया था।

भंवरी देवी की मौत के बाद आज भी कई सवाल है। आखिर उसके पास जो मौजूद CD थी वह कहां गई। इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। उसकी मौत के बाद इतना अवश्य हुआ कि उसकी और महिपाल मदेरणा की एक CD सामने आई। इस केस में आज तक यह स्पष्ट नहीं है कि यह सीडी वास्तव में थी या नहीं? यदि थी तो अब कहां है?


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