अमेरिका ने माना- 17 साल में धरती पर दिखे 144 UFO, एलियन से भी इंकार नहीं; भारत में भी 1951 से दिख रही हैं ‘उड़न तश्तरियां’


अप्रैल 2020 की बात है। अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने 3 वीडियो जारी किए थे। इन्हें अमेरिकी नेवी ने S-18 फाइटर जेट में लगे इंफ्रा रेड कैमरे की मदद से रिकॉर्ड किया था। बताया गया कि ये UFO यानी अन-आइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट हैं, जिन्हें आम भाषा में उड़न तश्तरी भी कहते हैं। वीडियो में ये ऑब्जेक्ट हवाई स्टंट करते हुए बेहद तेज रफ्तार से उड़ते दिख रहे थे।

अब बात करते हैं जून 2021 की। UFO की जांच के लिए बनाई गई अमेरिकी टास्क फोर्स ने एक रिपोर्ट जारी की है। 9 पन्नों की इस रिपोर्ट में अमेरिकी गवर्नमेंट सोर्स के जरिए 2004 से 2021 के बीच 144 UFO जिसे अमेरिका अन-आइडेंटिफाइड एरियल फिनॉमिना यानी UAP कहता है, उन्हें देखे जाने का जिक्र है।

हम यहां आपको बता रहे हैं कि UFO पर अमेरिका की स्टडी में क्या बातें सामने आई हैं? दुनिया के अन्य देशों में UFO और एलियंस पर क्या स्टडी की जा रही है? धरती पर पहली बार UFO कब देखे गए और भारत में ये कब-कब दिखाई दिया? इसके अलावा हम आपको बताएंगे UFO से जुड़ी कुछ रोचक कहानियां…

एलियन होने के नहीं मिले सबूत, मगर इंकार भी नहीं

UFO की जांच के लिए बनाई गई अमेरिकी टास्क फोर्स ने न तो पुष्टि की है, न ही इस बात को खारिज किया है कि इस तरह के ऑब्जेक्ट पृथ्वी पर एलियंस के आने का संकेत हो सकते हैं। यह रिपोर्ट डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस ने ‘प्रिलिमिनरी असेसमेंट: अनआइडेंटिफाइड एरियल फिनॉमिना’ नाम से जारी की गई है। इस टास्क फोर्स का गठन 10 महीने पहले किया गया था।

24 जून 1947 को आई ‘उड़न तश्तरी’ की पहली खबर

24 जून 1947 को मशहूर बिजनेसमैन और पायलट केनेथ अर्नोल्ड वॉशिंगटन स्टेट में माउंट रेनियर के पास उड़ान भर रहे थे। केनेथ ने 9 चमकीले ऑब्जेक्ट्स को एकसाथ V पैटर्न में आसमान में उड़ते हुए देखा। उनकी स्पीड लगभग 2700 किमी प्रति घंटा थी, जो उस वक्त की किसी भी टेक्नोलॉजी से तीन गुना ज्यादा तेज थी। केनेथ ने बताया कि उन्होंने आसमान में तश्तरी जैसे ऑब्जेक्ट देखे हैं, जिसे अगले दिन कई अखबारों ने छाप दिया कि आसमान में उड़ती हुई तश्तरी देखी गई है। इसके बाद UFO देखने की घटनाएं बढ़ गईं।

अमेरिका 7 दशकों से जुटा रहा है UFO के बारे में जानकारी

1947 से 1969 तक अमरिकी एयरफोर्स ने प्रोजेक्ट ब्लू बुक नाम से एक जांच ऑपरेशन चलाया। इसमें कुल 12,618 रिपोर्ट्स की जांच में पाया गया यह सामान्य घटनाएं थीं। जबकि 701 रिपोर्ट्स के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं निकल सकी। 2007 से 2012 के बीच एडवांस्ड एयरोस्पेस थ्रेट आइडेंटिफिकेशन प्रोग्राम (AATIP) लॉन्च हुआ। बाद में यह प्रोग्राम बंद कर दिया गया। इन सभी प्रोजेक्ट की रिपोर्ट सीक्रेट रखी गई। साल 2020 में एक प्रोग्राम शुरू किया गया, जिसे अन-आइडेंटिफाइड एरियल फिनॉमिना टास्क फोर्स नाम दिया गया। इसी टास्क फोर्स की रिपोर्ट 25 जून को सार्वजनिक की गई है।

भारत में 1951 में पहली बार दिखा UFO

1951 में दिल्ली में फ्लाइंग क्लब के मेंबर्स ने एक ऑब्जेक्ट को आसमान में देखा। ये सिगार के आकार का था। थोड़ी देर दिखने के बाद ये आसमान में गायब हो गया। ऐसे ज्यादातर ऑब्जेक्ट्स 21वीं सदी की शुरुआत में देखे गए थे। उसके बाद कैमकॉर्डर से ऐसी घटनाओं को रिकॉर्ड करने वाले लोगों की संख्या बढ़ती चली गई। 29 अक्टूबर 2017 को एक तेजी से उड़ते हुए चमकीले ऑब्जेक्ट को कोलकाता के पूर्वी छोर पर देखा गया। इसको कैमकॉर्डर से रिकॉर्ड भी किया गया था। हालांकि बाद में इसकी पहचान प्लैनेट वीनस के रूप में हुई। 2013 के बाद से चेन्नई से लखनऊ तक ऐसे ऑब्जेक्ट्स को देखना काफी कॉमन हो गया था। ये ऑब्जेक्ट्स बुलेट के आकार के होते थे और रात में दिखाई देते थे। इन्हें करीब 10 मिनट तक आसमान में घूमते हुए देखा गया।

UFO को लेकर एक्सपर्ट्स में मतभेद

UFO वैज्ञानिकों के लिए एक अजूबा है क्योंकि इसके बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि देखे गए आधे से ज्यादा ऑब्जेक्ट्स उल्कापिंड, टूटते तारे और शुक्र ग्रह हो सकते हैं।1969 में कोलोरैडो यूनिवर्सिटी ने UFO पर पहली एकेडमिक स्टडी पब्लिश की। इसके मुताबिक पिछले 21 सालों में ऐसा कुछ नहीं मिला जिसने UFO की स्टडी में कोई साइंटिफिक नॉलेज जोड़ा हो। हालांकि 1998 में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पीटर स्टुर्रोक ने माना कि लभगभग आधे ऑब्जेक्ट्स पर स्टडी की जा सकती है। रोचेस्टर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एडम फ्रैंक का मानना है कि UFO के वीडियो में साइंटिफिक नजरिए से कुछ भी नहीं है। रिचमंड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जैक सिग्नल का मानना है कि जरूरी नहीं कि आसमान में दिखने वाली हर अजीब सी चीज दूसरे ग्रह की हो। पिछले साल अमेरिका की एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में एक आर्टिकल छपा, जिसमें अनुमान लगाया गया था कि मिल्की वे गैलेक्सी में हमारे अलावा 36 इंटेलिजेंट सभ्यताएं हो सकती हैं। यह अनुमान इस आधार पर था कि पृथ्वी की तरह अन्य प्लैनेट्स पर इंटेलिजेंट लाइफ को पनपने में 5 अरब वर्ष लगते हैं।

दुनिया भर में UFO से जुड़ी कुछ रोचक कहानियां

UFO के इतिहास में जॉर्ज एडामस्की सबसे रोचक और विवादास्पद किरदार हैं। 1940 के दशक में एडामस्की ने कई बार UFO देखने का दावा किया। उन्होंने कथित उड़नतश्तरी की अनगिनत तस्वीरें लीं। 1952 में एडामस्की ने कैलिफोर्निया के रेगिस्तान में शुक्र ग्रह से आए एलियंस से मिलने और मेंटल टेलीपैथी के जरिए बातचीत होने का भी दावा किया। हालांकि एक्सपर्ट्स ने उनके दावों को नकार दिया। 14 जुलाई 2001 को न्यू जर्सी के एक हाइवे पर कार ड्राइवरों ने आसमान में तेज रोशनी देखी। करीब 15 मिनट बाद ये रोशनी गायब हो गई। एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स ने इसके हवाई जहाज, जेट या स्पेस क्राफ्ट होने की बात से इंकार किया, लेकिन न्यूयॉर्क स्ट्रेंज फिनॉमिना इन्वेस्टिगेटर्स नाम के ग्रुप ने रडार डेटा मिलने का दावा किया जो UFO देखे जाने के दावे को और पुख्ता करता है। साल 2006 में अमेरिका के ओहारे इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर यूनाइटेड एयरलाइंस के कर्मचारियों ने तश्तरी के आकार का ऑब्जेक्ट उड़ता देखा। गहरे भूरे रंग का ये ऑब्जेक्ट 5 मिनट बाद बादलों में गायब हो गया। रडार में इसका कोई नामोनिशान नहीं मिला। UFO की रहस्यमयी दुनिया पर तमाम साइंस फिक्शन फिल्में बनाई गई हैं। हॉलीवुड में मेन इन ब्लैक, अराइवल, एक्सटिंक्शन, प्रिडेटर और पैसिफिक रिम प्रमुख हैं। बॉलीवुड में ‘वहाँ के लोग’ (1967) भारत की शुरुआती साइंस फिक्शन फिल्मों में से एक है। यह फिल्म एक एजेंट के मर्डर में मंगल ग्रह से आए हुए एलियन के शामिल होने की जांच पर आधारित है। ‘कोई मिल गया’ (2003) में स्पेस से आए हुए एलियन और इंसान के दोस्ती की कहानी है।


Jagruk Janta

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