17 दिवसीय प्राकृतिक चिकित्सा शिविर का रविवार को हुआ समापन, एक हजार से अधिक ने शिविर में लिया लाभ


बीकानेर@जागरूक जनता। धर्मचंद भीखम चंद पुगलिया चेरिटेबल ट्रस्ट श्रीडूंगरगढ़ कोलकाता द्वारा आयोजित 17 दिवसीय निशुल्क प्राकृतिक चिकित्सा शिविर का आज समापन किया गया ।इस प्राकृतिक चिकित्सा शिविर में 1000 से अधिक रोगियों की चिकित्सा की गई। धर्म चंद पुगलिया की स्मृति में आयोजित इस प्राकृतिक चिकित्सा शिविर में उप खंड श्री डूंगरगढ़ के अलावा बीकानेर हनुमानगढ़ अन्य क्षेत्रों से भी दूर दूर से रोगी आए। और उन्होंने चिकित्सा लेकर लाभ प्राप्त किया। इस चिकित्सा शिविर में ऐसे व्यक्ति जो लकड़ी का सहारा लेकर चलते थे । उनको लकड़ी की सहारे की अब जरूरत नहीं पड़ रही है ।और वह बिना लकड़ी के सहारे चलने फिरने लगे हैं ।और अपने आप को स्वस्थ महसूस कर रहे हैं प्राकृतिक चिकित्सा शिविर में राधेश्याम जी पारीक और रवि प्रकाश पारीक ने रोगियों की बहुत ही तसल्ली से प्राकृतिक चिकित्सा की। आज शिविर समापन समारोह के अवसर पर रेल संघर्ष समिति के द्वारा भी प्राकृतिक चिकित्सक डॉ राधेश्याम पारीक व रवि प्रकाश पारीक को साल ओढाकर और सम्मान देकर अभिनंदन किया गया ।इस अवसर पर रेल संघर्ष समिति अध्यक्ष तोलाराम मारू ने बताया कि यह निशुल्क प्राकृतिक चिकित्सा शिविर धर्मचंद भीखम चद पुगलिया चेरिटेबल ट्रस्ट श्रीडूंगरगढ़ कोलकाता द्वारा दूसरी बार लगाया गया है ।पहली बार भी काफी लोग लाभान्वित हुए थे। तोलाराम मारू ने बताया कि धन्य थे धर्म चंद जी पुगलिया जिनके भीखमचंद जी जेसे लाल पैदा हुए हैं ।जो अपनी कर्मभूमि कोलकाता के साथ-साथ अपनी जन्मभूमि में भी समय-समय पर परहित के सेवा कार्य करते रहते हैं गरीबों की सेवा करना परहित में सहयोग देना भीखम चंद जी पुगलिया के हृदय में रच बस गया है और सदैव दीन दुखी की मदद करने में आप अग्रिम पंक्ति में रहते हैं। तुलसीराम चोरड़िया ने बताया कि इस शिविर में अनेक रोगी स्वस्थ होकर अपने को घरों की ओर गए हैं ।भीखम चद पुगलिया के प्रति आभार व्यक्त किया गया। शिविर के चिकित्सा देने वाले डॉक्टर राधेश्याम पारीक ने बताया कि रोगियों को प्राकृतिक चिकित्सा पर अधिक भरोसा हो रहा है। आहार विहार योग से हम अपने आप को स्वस्थ रख सकते हैं। बहुत बड़ी संख्या में श्री डूंगरगढ़ में लोगों का प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति रुझान रहा। इस प्राकृतिक चिकित्सा शिविर मे गठिया घुटनों का दर्द पैरों का दर्द और अन्य विभिन्न प्रकार की चिकित्सा की गई। आगंतुक रोगियों ने भीखमचंद पुगलिया के प्रति आभार प्रकट किया। तथा एक और शिविर आयोजित करने की मंशा प्रकट की। पूर्व पार्षद अशोक झाबक ने बताया कि प्राकृतिक चिकित्सा शिविर से लोगों को काफी लाभ हुआ है।


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