केरल पहुंचा मॉनसून, 30 जून दिल्ली में दस्तक, जानें कब कहां होगी बारिश


Monsoon Kerala and Cyclone Biparjoy: आखिरकार केरल में मॉनसून ने एक सप्ताह देरी से दस्तक दे दी है। हालांकि, चक्रवात बिपरजॉय के कारण बारिश पर असर होगा। इस साल अलनीनो के कारण भी मॉनसून पर असर पड़ने की बात कही जा रही है।

नई दिल्ली: दक्षिण पश्चिम मॉनसून (Monsoon in India) ने अपने निर्धारित समय से एक सप्ताह की देरी के बाद गुरुवार को भारत में दस्तक दे दी है। मौसम विभाग (IMD) ने मॉनसून के केरल में पहुंचने की घोषणा की है। मौसम विज्ञानियों ने इससे पहले कहा था कि चक्रवात ‘बिपरजॉय’ (Cyclone Biparjoy) मॉनसून को प्रभावित कर रहा है और केरल में इसका शुरुआत ‘मामूली’ होगी। इस साल करीब एक सप्ताह की देरी से मॉनसून केरल पहुंचा है।

धीरे-धीरे बढ़ रहा है आगे
IMD ने गरुवार को एक बयान में कहा, ‘दक्षिण पश्चिम मॉनसून आज आठ जून को केरल पहुंच गया।’ बयान में कहा गया है, ‘मॉनसून दक्षिण अरब सागर के शेष हिस्सों और मध्य अरब सागर के कुछ हिस्सों तथा समूचे लक्षद्वीप क्षेत्र, केरल के अधिकतर क्षेत्र, दक्षिण तमिलनाडु के अधिकतर हिस्सों, कोमोरिन क्षेत्र के शेष हिस्सों, मन्नार की खाड़ी और दक्षिण पश्चिम, मध्य एवं उत्तर पूर्व बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों की ओर बढ़ रहा है।’

केरल में देरी से पहुंचा मॉनसून
दक्षिण पश्चिम मॉनसून आम तौर पर केरल में एक जून तक पहुंच जाता है और सामान्यत: एक जून से करीब सात दिन पहले या बाद में यह पहुंचता है। मई के मध्य में IMD ने कहा था कि मॉनसून केरल में चार जून के आसपास पहुंच सकता है। निजी मौसम पूर्वानुमान केंद्र ‘स्काईमेट’ ने केरल में सात जून को मॉनसून के आगमन का अनुमान जताया था और कहा था कि मॉनसून सात जून से तीन दिन आगे पीछे आ सकता है। आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 150 वर्षों में केरल में मॉनसून की शुरुआत की तारीख अलग-अलग रही है, जो 1918 में समय से काफी पहले 11 मई को और 1972 में सबसे देरी से 18 जून को आया था।

तो क्या पूरे देश में मॉनसून पहुंचने में होगी देरी?
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून पिछले साल 29 मई को, 2021 में तीन जून को, 2020 में एक जून, 2019 में आठ जून और 2018 में 29 मई को केरल पहुंचा था। शोध से पता चलता है कि केरल में मॉनसून के आगमन में देरी का मतलब यह नहीं है कि उत्तर पश्चिम भारत में मॉनसून की शुरुआत में देरी होगी। हालांकि, केरल में मॉनसून के आगमन में देरी आम तौर पर दक्षिणी राज्यों और मुंबई में मॉनसून की शुरुआत में देरी से जुड़ी होती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि केरल में मॉनसून के आगमन में देरी भी इस मौसम के दौरान देश में कुल वर्षा को प्रभावित नहीं करती।

अलनीनो का होगा बड़ा असर?
IMD ने पहले कहा था कि ‘अलनीनो’ की स्थिति विकसित होने के बावजूद दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के मौसम में भारत में सामान्य बारिश होने की उम्मीद है। उत्तर पश्चिम भारत में सामान्य या उससे कम बारिश होने की उम्मीद है। पूर्व और उत्तर पूर्व, मध्य और दक्षिण प्रायद्वीप में इस दौरान औसत की 94 से 106 प्रतिशत सामान्य वर्षा होने की उम्मीद है। मॉनसून की अवधि के दौरान औसत के 90 प्रतिशत से कम बारिश को ‘वर्षा में कमी’ माना जाता है, 90 फीसदी से 95 फीसदी के बीच बारिश को ‘सामान्य से कम वर्षा’, 105 फीसदी से 110 फीसदी के बीच होने वाली बारिश को ‘सामान्य से अधिक वर्षा’ और 100 फीसदी से ज्यादा होने वाली बारिश को ‘अत्यधिक वर्षा’ माना जाता है।


Jagruk Janta

Hindi News Paper

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

पायलट गरजे, बोले - राजनीति में भ्रष्टाचार की कोई जगह नहीं, हर गलती सजा मांगती है

Sun Jun 11 , 2023
दौसा। स्व. राजेश पायलट की आज 23वीं पुण्यतिथि है। कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कांग्रेस के पूर्व नेता और अपने दिवंगत पिता राजेश पायलट को दौसा में श्रद्धांजलि देने के बाद आयोजित जनसभा में कहा, अपने वादे से पीछे नहीं […]

You May Like

Breaking News