कोरोना से जंग कैसे जीते भारत, विशेषज्ञों ने दिए 8 सुझाव, कहा अमल में लाएं तुरंत


गत वर्ष दिसंबर में लैंसेट की सिटीजन कमीशन ने भारत की स्वास्थ्य प्रणाली को लेकर एक समिति गठित की थी। इसमें 21 विशेषज्ञों को शामिल किया गया था। इसमें बायोकॉन की प्रमुख किरण मजूमदार शॉ और प्रमुख सर्जन डॉक्टर देवी शेट्टी भी शमिल हैं।

नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण की दूसरी लहर की रफ्तार अब धीरे-धीरे थम रही है। वहीं, तीसरी लहर भी जल्द आने की आशंका जताई जा रही है, जिसको देखते हुए दुनियाभर के विशेषज्ञों के एक समूह ने भारत को कोरोना से लडऩे के लिए 8 जरूरी सुझाव दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को इन सुझावों को तुरंत अमल में लाना चाहिए।

भारत को ये सुझाव मशहूर लैंसेट के विशेषज्ञों के समूह ने दिया है। गत वर्ष दिसंबर में लैंसेट की सिटीजन कमीशन ने भारत की स्वास्थ्य प्रणाली को लेकर एक समिति गठित की थी। इसमें 21 विशेषज्ञों को शामिल किया गया था। इसमें बायोकॉन की प्रमुख किरण मजूमदार शॉ और प्रमुख सर्जन डॉक्टर देवी शेट्टी भी शमिल हैं। कोरोना से जंग जीतने के लिए विशेषज्ञों ने भारत को जो सुझाव दिए हैं उसके मुताबिक-

1- आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं के संगठन का विकेंद्रीकरण किया जाए, क्योंकि विभिन्न जिलों में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या अलग-अलग है और सभी जिलों में स्वास्थ्य सेवाएं भी अलग हैं।

2- एक पारदर्शी राष्ट्रीय मूल्य नीति होनी चाहिए। इसके तहत स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी सभी आवश्यक सेवाओं जैसे- एंबुलेंस, ऑक्सीजन, आवश्यक दवाओं और अस्पतालों की देखभाल से जुड़ी चीजों की कीमतों की सीमा तय की जाए। अस्पताल की देखभाल में किसी भी तरह के खर्च की जरूरत नहीं होनी चाहिए। सभी को मौजूदा स्वास्थ्य बीमा योजनाओं की ओर से लागत को कवर किया जाना चाहिए। ऐसी पहल कुछ राज्यों ने की है, यह सभी जगह लागू हो।

3- कोरोना महामारी के प्रबंधन पर स्पष्ट और साक्ष्य आधारित जानकारों को व्यापक रूप से प्रसारित और कार्यान्वित किया जाए। इस जानकारी में स्थानीय परिस्थितियों, स्थानीय भाषाओं में घरेलू देखभाल और उपचार, प्राथमिक देखभाल के लिए उपयुक्त रूप से अनुकूलित अंतरराष्ट्रीय दिशा-निर्देश शामिल होने चाहिए।

4- कोरोना से लड़ाई में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं से जुड़े सभी संसाधनों को लगाने की आवश्यकता है। इसमें निजी सेक्टरों को भी लगाया जाए। विशेष रूप से पर्याप्त व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण, बीमा और बाकी चीजों पर भी ध्यान दिए जाने की जरूरत है।

5- राज्य सरकार ये निर्णय करे कि पहले किसे वैक्सीन लगाई जाए। वैक्सीन की आपूर्ति में सुधार के बाद इसे बढ़ाया जा सकता है। वैक्सीनेशन एक सार्वजनिक हित है और इसे बाजार के तंत्र पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए। वैक्सीन की कीमत बाजार तय नहीं करे।

6- सामुदायिक जुड़ाव और सार्वजनिक भागीदारी भारत की कोरोना महामारी प्रबंधन में दिखना चाहिए। जमीनी स्तर पर सिविल सोसाइटी की ऐतिहासिक रूप से स्वास्थ्य देखभाल और अन्य विकास से जुड़ी गतिविधियों में लोगों की भागीदारी में महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

7- तीसरी लहर की आशंकाओं को देखते हुए जिलों को सक्रिय रूप से तैयार करने के लिए सरकारी डेटा संग्रह और कार्यरूप में पारदर्शिता होनी चाहिए। स्वास्थ्य प्रणाली से जुड़े कर्मचारियों को आयु के अलग-अलग कोरोना संक्रमित मामलों, अस्पतालों में भर्ती होने और मृत्यु दर, टीकाकरण के सामुदायिक स्तर के कवरेज, उपचार प्रोटोकॉल की प्रभावशीलता के समुदाय आधारित ट्रैकिंग और लंबे समय के परिणामों पर आंकड़ों की जरूरत होगी।

8- कोरोना संक्रमण की वजह से लोगों को आर्थिक दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़े, इसके लिए सरकार ऐसे लोगों को चिन्हित कर उनके अकाउंट में निश्चित रकम ट्रांसफर करे। सभी श्रमिकों को काम पर बनाए रखने की जरूरत है, चाहे अनुबंध की स्थिति कुछ भी हो। सरकार की प्रतिबद्धता के माध्यम से इन कंपनियों को मुआवजे की पेशकश भी होनी चाहिए।


Jagruk Janta

Hindi News Paper

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

संयुक्त राष्ट्र को कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान ने लिखा पत्र, भारत पर लगाए गंभीर आरोप

Fri Jun 18 , 2021
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने पत्र को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष और संयुक्त राष्ट्र महासचिव के नाम लिखा है। लाहौर। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक बार फिर कश्मीर का राग अलापा […]

You May Like

Breaking News