IARI भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने धान की 9 नई किस्में की लॉन्च, जानिए उनकी खूबियां…


नई दिल्ली. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने धान की 9 नई किस्में विकसित की हैं, जो भारतीय किसानों के लिए कृषि उत्पादन में एक नई क्रांति साबित हो सकती हैं। इन नई किस्मों को देश के विभिन्न राज्यों के लिए अनुकूलित किया गया है, जिससे किसानों को बेहतर उपज, लवणीयता सहनशीलता, और विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में सफल उत्पादन का अवसर मिलेगा।

सीआर धान 416 (IET 30201)
आईसीएआर-राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान, द्वारा प्रायोजित पहली किस्म सीआर धान 416 (IET 30201) पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, और गुजरात के तटीय लवणीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है, जो प्रति हेक्टेयर 48.97 क्विंटल की उपज देती है और इसकी मैच्योरिटी 125-130 दिनो की है। यह किस्म ब्राउन स्पॉट, नेक ब्लास्ट, शीथ सड़न, चावल टुंग्रो रोग, ग्लूमे डिस्कलरेशन के लिए मध्यम प्रतिरोधी, भूरे पौधे हॉपर, टिड्डी और तना छेदक के लिए प्रतिरोधी किस्म है।

सीआर धान 810 (IET 30409)
दूसरी किस्म सीआर धान 810 (IET 30409) ओडिशा, पश्चिम बंगाल, और असम के लिए अनुमोदित है, जिसे वर्षा आधारित उथली निचली भूमि के लिए अनुकूलित किया गया है और यह प्रति हेक्टेयर 42.38 क्विंटल की उपज प्रदान करती है और इसकी मैच्योरिटी 150 दिनो की है। यह किस्म प्रारंभिक चरण में 14 दिनों तक जलमग्नता सहनशीलता, भूरा धब्बा रोग के लिए मध्यम प्रतिरोधी, पत्ती मोड़क और तना छेदक (मृत हृदय) के लिए मध्यम प्रतिरोधी किस्म है।

सीआर धान 108 (IET 29052)
तीसरी किस्म सीआर धान 108 (IET 29052), जिसे ओडिशा और बिहार के लिए अनुमोदित किया गया है, प्रारंभिक सीधी बुआई वाली वर्षा आधारित स्थिति के लिए उपयुक्त है और प्रति हेक्टेयर 34.46 क्विंटल की उपज देती है और इसकी मैच्योरिटी 110-114 दिनो की है। यह किस्म ऊपर उल्लेखित रोगों के विरुद्ध प्रतिरोधी है इसके साथ यह प्लांट हॉपर के प्रति मध्यम प्रतिरोधी, सूखे के प्रति मध्यम सहनशील है।

सीआर 101 (IET 30827)
इसी प्रकार, सीआर 101 (IET 30827) को केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान करनाल, द्वारा प्रायोजित चौथी किस्म को उत्तर प्रदेश, हरियाणा, तमिलनाडु और कर्नाटक में खेती के लिए उपयुक्त माना गया है। यह किस्म मध्यम ऊंचाई वाली भूमि के लिए है और प्रति हेक्टेयर 47.20 क्विंटल की उपज देती है। इसकी प्रति हेक्टेयर उपज क्षारीय तनाव, खारा तनाव और सामान्य स्थिति में क्रमशः 35.15, 39.33 और 55.88 क्विंटल की उपज प्रदान करती है और इसकी मैच्योरिटी 125-130 दिनो की है।

स्वर्ण पूर्वीधान 5 आईईटी 29036
स्वर्ण पूर्वीधान 5 आईईटी 29036 (आरसीपीआर 68-आईआर83929-बी-बी-291-2-1-1-2), जिसे बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड के लिए अनुमोदित किया गया है। यह किस्म सूखे में सीधी बुआई वाली एरोबिक स्थिति के लिए उपयुक्त है और खरीफ के दौरान वर्षा आधारित और पानी की कमी वाले क्षेत्र के लिए प्रति हेक्टेयर उपज सामान्य स्थिति में 43.69 क्विंटल/हेक्टेयर और मध्यम सूखे की स्थिति में 29.02 क्विंटल/हेक्टेयर है। यह किस्म 110 से 115 दिनों में पक्कर तैयैर हो जाती है। इसमें उच्च मात्रा में जिंक (25.5 पीपीएम) होता है। और आयरन (13.1 पीपीएम), गर्दन ब्लास्ट और तना सड़न के लिए प्रतिरोधी और पत्ती ब्लास्ट, भूरा धब्बा और शीथ सड़न के लिए मध्यम प्रतिरोधी, तना छेदक (मृत दिल और सफेद कान सिर), पित्त मिज, पत्ती फ़ोल्डर, पित्त मिज, चावल का थ्रिप जैसे प्रमुख कीटों के लिए सहनशील है।

डीआरआर धान 73 (आईईटी30242)
डीआरआर धान 73 (आईईटी30242) को भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान राजेंद्रनगर हैदराबाद, द्वारा प्रायोजित छटी किस्म को कर्नाटक, ओडिशा और तेलंगाना के लिए अनुमोदित किया गया है। यह किस्म खरीफ और रबी दोनों के लिए कम मृदा फास्फोरस वाले सिंचित और वर्षा आधारित उथले निचले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है और इसकी उपज 60 क्विंटल/हेक्टेयर (सामान्य परिस्थितियों में; 60 किग्रा/हेक्टेयर फास्फोरस की अनुशंसित मात्रा डाले), 40 क्विंटल/हेक्टेयर (कम फास्फोरस के तहत; 40 किग्रा/हेक्टेयर ) और इसकी मैच्योरिटी 120 से 125 दिन की है। यह किस्म लीफब्लास्ट के प्रति मध्यम प्रतिरोधी भी है।

डीआरआर धान 74 (आईईटी30252)
सातवीं किस्म डीआरआर धान 74 (आईईटी30252) कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना, झारखंड और भारत में फॉस्फोरस की कमी वाले क्षेत्रों के लिए अनुमोदित है, जो खरीफ और रबी दोनों के लिए कम मृदा फास्फोरस वाले सिंचित और वर्षा आधारित उथले निचले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है और इसकी उपज 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर (सामान्य परिस्थितियों में; 60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर फास्फोरस), 44 क्विंटल प्रति हेक्टेयर (कम फास्फोरस के तहत; 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर फास्फोरस) और यह किस्म की मैच्योरिटी 130 से 135 दिन की है और यह पत्ती प्रध्वंस, गर्दन प्रध्वंस, आवरण सड़न, पादप फुदक रोगों के प्रति मध्यम सहनशील है।

डीआरआर धान 78 (आईईटी30240)
डीआरआर धान 78 (आईईटी30240) कर्नाटक और तेलंगाना के लिए है और यह किस्म इस किस्म में ऊपर उल्लेखित छटी और सातवीं की तरह खुबिया है बस इसकी उपज में अंतर है 58 क्विंटल/हेक्टेयर (सामान्य परिस्थितियों में; 60 किग्रा/हेक्टेयर फास्फोरस), 46 क्विंटल/हेक्टेयर (कम फास्फोरस के तहत; 40 किग्रा/हेक्टेयर फास्फोरस) इसकी परिपक्वता 120 से 125 दिन की है। यह किस्म पत्ती प्रध्वंस और पौध फुदका के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है।

केकेएल (आर) 4 (आईईटी 30697) (केआर 19011)
अंत में, केकेएल (आर) 4 (आईईटी 30697) (केआर 19011) को पंडित जवाहरलाल नेहरू कृषि महाविद्यालय और अनुसंधान संस्थान कराईकल, पुडुचेरी, द्वारा प्रायोजित नौंवी किस्म को तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना औऱ पुड्डुचेरी के लिए अनुमोदित किया गया है, जो जलमग्न तनाव जैसी स्थितियों के लिए उपयुक्त है और इसकी उपज 38 क्विंटल/हेक्टेयर तनाव स्थितियों के तहत और 56 क्विंटल/हेक्टेयर सामान्य स्थितियों के तहत। इसकी परिपक्वता 120 से 125 दिन की है।

11 अगस्त 2024 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा जारी की गई खेत और बागवानी फसलों की 109 किस्मों में यह 9 धान की किस्मे भी शामिल है। ये किस्में न केवल उच्च उपज और लवणीयता सहनशीलता प्रदान करती हैं, बल्कि विभिन्न जलवायु और मिट्टी की परिस्थितियों में भी बेहतर प्रदर्शन करेंगी। इन किस्मों को अपनाकर किसान अपनी पैदावार को बढ़ा सकते हैं और देश की खाद्यान्न सुरक्षा को मजबूत कर सकते हैं।


Jagruk Janta

Hindi News Paper

Next Post

पेस्ट कन्ट्रोल विक्रेताओ का प्रशिक्षण कार्यक्रम

Wed Aug 14 , 2024
जयपुर। कृषि विभाग द्वारा मंगलवार को पेस्ट कन्ट्रोल विक्रेताओं का एक दिवसी प्रशिक्षण कार्यक्रम श्री एल.एन. बैरवा, अतिरिक्त निदेशक कृषि विस्तार जयपुर खण्ड जयपुर एवं श्री राकेश पाटनी, संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार, जिला परिषद् जयपुर के तत्वाधान में आयोजित किया […]

You May Like

Breaking News