27 अगस्त तक मांगे नहीं मानी गयी तो देश का व्यापार एवं उद्योग आन्दोलन के लिये बाध्य होगा


भारतीय उद्योग व्यापार मण्डल द्वारा रंग भवन, आकाशवाणी ऑडिटोरियम, दिल्ली में आयोजित 43वें राष्ट्रीय व्यापारी दिवस के अवसर पर व्यापारी सम्मेलन एवं सम्मान समारोह में समारोह के मुख्य अतिथि भारतीय व्यापारी कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष माननीय श्री सुनील जीवराज सिंघी रहे। समारोह की अध्यक्षता बीयूवीएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता ने की। बीयूवीएम की गवर्निंग बॉडी के संयोजक प्रहलाद खण्डेलवाल, कटक; बीयूवीएम के वरिष्ठ उपाध्यक्ष भैंरोप्रसाद मिश्र, उत्तरप्रदेश; गोपालदास अग्रवाल, मध्यप्रदेश; प्यारेलाल सेठ, पंजाब; राजू अप्सरा, केरल; एस.सौंदर्यराजन, तमिलनाडू; विजयलक्ष्मीचन्द गुप्ता, हरियाणा; सतीश अग्रवाल, आन्धप्रदेश; वरिष्ठ महामंत्री मुकुंद मिश्रा, कानपुर एवं हेमन्त गुप्ता, दिल्ली; तथा दिल्ली प्रदेश के बीयूवीएम के अध्यक्ष प्रेम अरोड़ा, बीयूवीएम कर्नाटक अध्यक्ष पी.एस. राजपुरोहित, बीयूवीएम छत्तीसगढ़ अध्यक्ष अशोक मोदी, बीयूवीएम हिमाचलप्रदेश अध्यक्ष प्रकाश चन्द गुप्ता, बीयूवीएम पंजाब अध्यक्ष सुनील मेहरा, पंजाब आढ़तियां संघ के अध्यक्ष रवीन्द्र सिंह चीमा, बीयूवीएम चण्डीगढ़ अध्यक्ष चरणजीव सिंह, बीयूवीएम मध्यप्रदेश अध्यक्ष राजेश जैन, बीयूवीएम उत्तराखण्ड अध्यक्ष प्रकाश चन्द मिश्रा, बंगाल प्रदेश के महामंत्री श्री कुण्डू एवं राजेश दबे, नागालैण्ड से वासु दमाणी तथा त्रिपुरा से सुजीत रॉय उपस्थित रहे। इस प्रकार भारत के सभी प्रांतों से वहां के एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं मंत्री सहित 1300 व्यापारी प्रतिनिधियों ने समारोह में उत्साहपूर्व भाग लिया। समारोह का संचालन वरिष्ठ महामंत्री मुकुन्द मिश्रा एवं हेमन्त गुप्ता ने किया। समारोह में निम्न विषयों पर चर्चा हुई तथा निर्णय लेकर प्रस्ताव पारित किये गये।

ऑनलाई – ब्राण्ड वेल्यू बनाने के लिये घाटे में वस्तुएं बेचना, बल्क माल परचेज कर निर्माता फैक्ट्री से अधिक डिस्काउण्ट प्राप्त करना, ब्राण्ड वेल्यू बनाकर घटिया माल उपभोक्ता को बेचना तथा बाजार में बैठे हुए व्यापारी का व्यापार सुरक्षित रहे और लोग बेरोजगार नहीं हो, इसलिये मांग की गयी कि एम.आर.पी. से नीचे माल नहीं बिके। और बाजारों में बैठे व्यापारियों के व्यापार की सुरक्षा करते हुए सुनिश्चित किया जायें कि वे बेरोजगार नहीं हो।

जीएसटी – जीएसटी में 5, 15 एवं 25 तीन स्लैब बनाये जायें। पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में शामिल किया जायें, छोटी आटा चक्की एवं एलईडी लैम्प व लाईट्स को 5 प्रतिशत की श्रेणी में लाना, खाद्य तेलों पर पैकिंग मैटेरियल के देय इनपुट को बरकरार रखना, वेयरहाऊस के किराये पर जीएसटी की छूट बरकरार रखना, बधाई कार्ड को करमुक्त श्रेणी में लाना; की मांग की गयी। साथ ही सर्च एवं सर्वे/छापे के समय बगैर डॉक्यूमेन्ट्स की जांच पड़ताल किये व्यवहारी को चोर एवं इवेडर बताकर टैक्स वसूल करना, का विरोध किया गया। व्यापारियों ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जीएसटी कर अधिकारी व्यवहारी को बही-खाते लेकर ऑफिस में बुलाने के नोटिस लाखों की तादाद में जारी किये गये हैं। यह भ्रष्टाचार का खुला अड्डा है। मांग की गयी कि इसे तुरन्त रोका जाना चाहिये।

43बी(एच) – इस प्रावधान के अन्तर्गत 45 दिन का भुगतान देने के लिये एमएसएमई को पाबन्द किया गया है। मांग की गयी कि इसे बढ़ाकर 90 दिन किया जायें।

आयकर – टीडीएस एवं टीसीएस फायनान्स एक्ट 2020 के सेक्शन 2006 सी(1एच) के प्रावधान का विरोध करते हुए बताया गया कि विक्रेता को 0.1 प्रतिशत टीसीएस संग्रहित करना होगा तथा क्रेता को टीडीएस 0.1 प्रतिशत काटना होगा। मांग की गयी कि रजिस्टर्ड आयकरदाताओं से इस तरह का टीसीएस एवं टीडीएस काटना गलत है। इसे सुधारा जाना चाहिये।

खाद्य सुरक्षा एवं संरक्षा अधिनियम (एफएसएसएआई) – व्यापारियों ने बताया और मांग की कि फूड सेफ्टी ऑफिसर मैन्यूफैक्चरर्स के यहां जाता है और बगैर जांच किये ही खाद्य पदार्थ को अखाद्य घोषित कर अखबारों में सूचना भेजकर छपवाया जाता है। यह उत्पादकर्त्ता के मान प्रतिष्ठा को खराब करता है। मांग की गयी कि इसे रोका जाना चाहिये।

उपभोक्ता मामलात – विभाग द्वारा कभी दाल की स्टॉक सीमा, तो कभी गेहूँ की स्टॉक सीमा, कभी तिलहन की स्टॉक सीमा निर्धारित कर पोर्टल पर स्टॉक डालने की बात की जाती है। मांग की गयी कि इसे रोका जाना चाहिये। यह स्वतंत्र व्यापार को बाधित करता है। मांग और आपूर्ति के अनुसार दरें घटाता-बढ़ाता रहता है।

कृषि जिन्सों तथा इनके उत्पाद का आयात – व्यापारियों ने विचार रखें कि तेल का भरपूर आयात करने के लिये कस्टम ड्यूटी घटायी गयी है। इससे देश की पैदावार भी प्रभावित होगी और तेल मीलें बन्द होती जा रही है। मांग की गयी कि आयात शुल्क बढ़ाया जाना चाहिये।

कृषि मण्डी सेस – मांग की गयी कि पूरे भारत में कृषि मण्डी सेस 0.50 प्रतिशत एक ही दर से संधारित किया जाना चाहिये। एक प्रांत से दूसरे प्रांत में माल आने जाने पर एक बार लगी हुयी मण्डी सेस को मान लिया जाना चाहिये।

निर्णय – भारतीय उद्योग व्यापार मण्डल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता ने बताया कि जीएसटी की दरों में विसंगतियां, रिटर्न फाईल में सरलीकरण, सर्वे सर्च/छापे के समय व्यापारी को चोर बताना, खाद्य वस्तुएं के निरीक्षण के दौरान वस्तुओं को बगैर जांचे-परखे अखाद्य घोषित करना, खाद्य तेल के आयात शुल्क को शून्य रखना, कृषि जिन्सों पर स्टॉक सीमायें लगाना, सभी कृषि जिन्सों पर मण्डी शुल्क 0.50 प्रतिशत से अधिक वसूल करना; व्यापार विरोधी है। इसलिये इसे रोका जाना चाहिये। यह भी निर्णय किया गया कि संबंधित सभी विभागों के मंत्रियों को ज्ञापन भेजे जायें और प्रतिनिधिमण्डल को बुलाकर समस्याओं का समाधान किया जायें। और इस प्रकार के विधिवत नोटिस केन्द्र सरकार को भेज दिया जायें। यदि फिर भी केन्द्र सरकार समस्याओं के समाधान में 27 अगस्त तक असफल रहती है तो भारतीय उद्योग व्यापार मण्डल की सितम्बर माह में मीटिंग बुलाकर बीयूवीएम आंदोलन की रूपरेखा बनाने को बाध्य होगा। जिसकी सारी जिम्मेदारी केन्द्र सरकार की होगी।


Jagruk Janta

Hindi News Paper

Next Post

किसानों को तोहफा: पीएम मोदी ने गेहूं, चावल समेत 61 फसलों की 109 उन्नत किस्में की जारी, क्या है इनकी खासियत?

Mon Aug 12 , 2024
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों को बड़ी सौगात देते हुए रविवार को 61 फसलों की 109 नई एवं उन्नत किस्में जारी कीं। ये नई किस्में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से लंबे समय के रिसर्च के बाद […]

You May Like

Breaking News